त्राहिमाम-त्राहिमाम ।
सस्ती हुई जान ।।
घोर लापरवाही ।
हर लिए प्राण ।।
असह्य अब पीड़ा ।
हादसा ये अमृतसर ।।
जो भी ज़िम्मेदार ।
बरपाओ क़हर ।।
तड़प रहे कुटुंब ।
ग़मज़दा है देश ।।
ना सेंको रोटी ।
क्या रहा अब शेष ।।
कृष्णेन्द्र राय
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