बेपटरी अब रेल ।
लापरवाही चरम ।।
शक हो रहा रेलवे ।
ना निभाते धरम ।।
मुआवज़ा-निलंबन ।
सुनते केवल कान ।।
तरस गयीं आँखें ।
ना दिखे परिणाम ।।
कायाकल्प लगातार ।
गया नहीं भय ।।
जानमाल की रक्षा ।
आएगा समय ?
कृष्णेन्द्र राय
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें