लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को रोकने के लिए सपा व बसपा का गठबंधन तय हो चुका है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती ने गठबंधन को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी है। दोनों के बीच गठबंधन हो जाने से भाजपा में हड़कम्प मचा हुआ है। इस गठबंधन से दोनों पार्टियों के कई नेता भी पार्टी छोड़ने की तैयारी कर रहे है। ऐसा इसीलिए क्योंकि जिन सीटों पर बसपा से गठबंधन किया गया है, वहां पर भावी प्रत्याशियों का टिकट काटना तय है। ऐसे में कुछ प्रत्याशियों ने बीजेपी से सम्पर्क भी शुरू कर दिया है। इनमें सपा और बसपा के कई बड़े नेता शामिल हैं।

बिहार जैसे हुई स्थिति

उत्तर प्रदेश की राजनीति की स्थिति इन दिनों 2015 में बिहार जैसी हो गयी है। बरसों तक जदयू और राजद के नेता आपस में सत्ता के लिए लड़ते रहे मगर बीजेपी के खिलाफ दोनों ही दल एक हो गए थे। मगर दोनों दलों की लड़ाई में जिन नेताओं ने पाला बदला था, उनका सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। इसकी सबसे बड़ी मिसाल राष्ट्रीय जनता दल छोड़ कर जनता दल यूनाइटेड में गए श्याम रजक हैं। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद भी उन्हें नीतीश कुमार की सरकार में कोई मंत्री पद नहीं दिया गया था। ऐसे में दल बदलने वाले नेताओं पर भाजपा ने अपनी नजर रखना शुरू कर दिया है।

ये नेता कर सकते हैं बगावत :

यूपी चुनाव 2017 के पहले बसपा के कई नेताओं ने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। इनमें से कई नेताओं को टिकट दिया गया और उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की थी। बसपा के पास अब बड़े नेता नहीं बचे हैं इसलिए उसमें बगावत होने की संभावना कम लगती है। समाजवादी पार्टी में कई ऐसे नेता है जिनका टिकट कटा तो वह पार्टी से बगावत कर भाजपा या अन्य दलों में जा सकते हैं। सूत्रों की माने तो ऐसे नेता बिना सामने आये ही गठबंधन के प्रत्याशी को हराने का खेल भी खेलने के तैयारी कर रहे हैं। खेलेंगे।

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