आये दिन हजारों की तादात में चोरी हो रहे मोबाइल एक तकनीक से डिब्बा, खिलौना हो जायेंगे। इतना ही नहीं चोरी करने वाले चोर भी पुलिस के शिकंजे में आसानी से आ जायेंगे। जो चोर मोबाइल चोरी करके अय्याशी करते हैं, वह अब कंगाल हो जायेंगे। इस तकनीक को जून में शुरू किया जा सकता है।
दरअसल, दूरसंचार प्रौद्योगिकी केंद्र (सी-डॉट) ने मोबाइल उपकरण रजिस्टर-एमईआर तंत्र तैयार कर लिया है। इससे चोरी का मोबाइल मिनटों में और आसानी से ट्रैक हो जाएगा, जबकि आईएमईआई नंबर बदलने की स्थिति में यह महज खिलौना रह जाएगा। सी-डॉट के कार्यकारी निदेशक विपिन त्यागी के मुताबिक, मोबाइल की चोरी या लूट की समस्या से निजात दिलाने के लिए एमईआर को जुलाई से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
इस तंत्र का ट्रायल महाराष्ट्र में पूरा होते ही अगले माह से इसे पुलिस के सुपुर्द कर दिया जाएगा। बीते कुछ सालों से रोजाना हजारों मोबाइल चोरी व लूट की घटनाओं को देखते हुए सी-डॉट को यह बीड़ा सौंपा गया है। देश में एक ही आईएमईआई नंबर पर 18 हजार हैंडसेट चल रहे हैं। एमईआर तंत्र में वैश्विक तंत्र मोबाइल संघ (जीएसएमए) की ओर से जारी आईएमईआई का ही इस्तेमाल होगा।
आईएमईआई के बिना नहीं चलेगा कोई सिम
जीएसएमए वह संस्था है जो हरेक मोबाइल के लिए आईएमईआई नंबर जारी करती है। इस नंबर के बिना कोई भी सिम मोबाइल में नहीं चल सकता। सी-डॉट एमईआर तंत्र के लिए सेवा प्रदाता को भी जिम्मेदार बनाने जा रहा है। इसके तहत टेलीकॉम कंपनियां मोबाइल के लिए जारी आईएमईआई का मिलान जीएसएमए के डाटा से करेंगी।
मिलान नहीं होने पर मोबाइल में सिग्नल नहीं आएंगे और वह कूड़ा हो जाएगा। वहीं बदलाव किए बिना इस्तेमाल हो रहे चोरी के मोबाइल को एमईआर तंत्र से पुलिस कुछ ही पल में ट्रैक कर लेगी। अंतरराष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान नंबर (आईएमईआई) से छेड़छाड़ पर रोक के लिए भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धारा-7 और 25 में संशोधन भी किया गया है।