अगर कोई बच्चा अपने माता-पिता के साथ रहने में खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करता या करती है, तो वह उनके साथ नहीं रहने के लिए पूरी तरह से आजाद है। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि नाबालिग बच्चों को अपने माता-पिता के साथ नहीं रहने का विकल्प चुनने की स्वतंत्रता है।
बच्चों को है विकल्प चुनने की आजादी :
- दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि बच्चों को अपने माता-पिता के साथ नहीं रहने का विकल्प चुनने की स्वतंत्रता है।
- न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की पीठ ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान की।
- व्यक्ति ने याचिका में अपनी गुमशुदा बेटी का पता लगाने और उसकी कस्टडी उसे सौंपने की मांग की है।
- इसी याचिका पर सुनवाई कर अदालत ने 15 साल की लड़की की कस्टडी उसके पिता को सौंपने से मना कर दिया।
- क्योंकि लड़की ने पुलिस और बाल कल्याण समिति से कहा कि वह अपने माता-पिता के पास नहीं लौटना चाहती है।
- ज्ञात हो कि लड़की का पता कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश में मथुरा से लगाया गया था।
- अदालत ने यह भी गौर किया कि लड़की को जिस आश्रय गृह में रखा गया है वहां वह सुरक्षित है।
- उसने आशंका जताई कि अगर उसे उसके माता-पिता को सौंपा गया तो उसे नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
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