फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को अपने सहयोगी दलों की मदद से ऐतिहासिक जीत हासिल हुई है। इस जीत से सपा और बसपा दोनों का हौंसला पहले से बहुत ज्यादा बढ़ चुका है। इन उपचुनावों के बाद सभी की नजर उत्तर प्रदेश की 1 और लोकसभा सीट कैराना पर होने वाले उपचुनाव पर टिकी हुई है। इस चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन ना होना तय हैं। इस बीच इस उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के लिए एक बड़े नेता के नाम की चर्चाएँ शुरू हो गयी हैं।
कैराना पर है सपा-बसपा की नजर :
फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों में बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था और सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी को अपना समर्थन दिया था। इसका असर साफ देखने को मिला और भारी अंतर से दोनों सपा प्रत्याशियों की जीत हुई। अब दोनों पार्टियों की नजर कैराना लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव पर टिकी हैं। खबर है कि इस उपचुनाव में भी सपा-बसपा और रालोद का गठबंधन होगा और संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर रालोद के चौधरी अजीत सिंह या जयंत चौधरी को उतारा जा सकता है। हालाँकि अभी इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है। मगर सपा अपने प्रत्याशी को लेकर काफे मंथन कर रही है।
नाहिद हसन हो सकते हैं प्रत्याशी :
कैराना लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी अपने कैराना से वर्तमान विधायक नाहिद हसन पर दाँव लगा सकती है। कैराना विधानसभा सीट पर 2014 में हुए उपचुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को हराया था। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की है। ऐसे में सपा एक बार फिर से उन पर भरोसा कर सकती है। हालांकि वे अभी MLA बने हैं तो ऐसा होना भी मुश्किल लग रहा है। हालाँकि कई अन्य नेताओं के नाम भी चर्चा में है। बसपा भी यहाँ से अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रही है। ऐसे में मुमकिन है कि उपचुनावों में समर्थन मिलने के बाद सपा इस उपचुनाव में बसपा को अपना समर्थन दे।