सूबे में ऑनलाइन शापिंग अब जल्द ही महंगी होने वाली है। मंगलवार को हुई प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में ई-कामर्स के माध्यम से राज्य में आने वाली वस्तुओं पर 5 प्रतिशत प्रवेश कर लगाने का लगाने का निर्णय हुआ है। इसके लिए नौ वर्ष पुराने प्रवेश कर अधिनियम में संशोधन संबंधी विधेयक को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
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मालूम हो कि मौजूदा समय में किसी दूसरे राज्य से ई-कामर्स के जरिये आने वाली वस्तुओं पर राज्य सरकार को टैक्स वसूलने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है।
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ऐसे में मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण की ऑनलाइन शापिंग अपेक्षाकृत सस्ती होने से ई-कार्मस के यूजर दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहें हैं।
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वाणिज्य कर विभाग के मुताबिक राज्य में करीब 12 हजार करोड़ रूपये की ऑनलाइन शापिंग हो रही है। जिसमें बहुत तेजी के साथ इजाफा हो रहा है।
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ई-कामर्स के बढ़ते कारोबार को देखते हुए सरकार ने ऑनलाइन मंगाई जाने वाली वस्तुओं पर टैक्स वसूलने का फैसला किया है।
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इसके तहत राज्य में स्थानीय वस्तुओं के प्रवेश कर अधिनियम 2007 में बदलाव करने का निर्णय लिया गया।
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नियमों में बदलाव करके राज्य के बाहर से मंगाई जाने वाली वस्तुओं के परिवहनकर्ता, लाजिस्टिक कंपनियां और कोरियर कंपनी आदी को एक्ट के दायरे में लाकर उनसे प्रवेश कर वसूला जाएगा।
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कैबिनेट के इस प्रस्ताव को विधानमंडल में पारित करा कर राज्यपाल की मंजूरी के बाद सरकरा ऑनलाइन शापिंग से मंगाई जाने वाली वस्तुओं पर 5 फीसदी प्रवेश कर वसूलने लगेगी।
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उम्मीद जताई जा रही है कि जुलाई से ऑनलाइन शापिंग महंगी हो सकती है। जिसके बाद सरकार को 600 करोड़ का सालाना राजस्व मिलने का अनुमान है।
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उत्तर प्रदेश के पहले उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, बिहार में पहले से ही ऑनलाइन शापिंग पर टैक्स वसूला जा रहा है।
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