अब्दुल्ला-महबूबा ।
पंचायत का विरोध ।।
दशकों का कुशासन ।
विषय बना शोध ।।
ये दो परिवार ।
सुलगाये प्रदेश ।।
कुढ़ता रहा देश ।
क़ायम है क्लेश ।।
भटके नौजवान ।
छवि है गुमराह ।।
जहर गहरी पैठ ।
आवाम है गवाह ।।
कृष्णेन्द्र राय
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