हमारे समाज का एक हिस्सा ऐसा भी है जिसके बारे में आज कोई बात करना उचित नहीं समझता। प्रगतिशील भारत की तेज होती गति में बहुत पीछे छूट चुका यह अंग वह है जिन्हें हम भिखारी कहते हैं।
खुद्दारी की इससे अच्छी मिसाल कहीं नहीं मिल सकती:
- हम अक्सर सड़क पर भीख माँगते हुये छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओं को देखते हैं।
- क्या आप जानते हैं कि ये उनकी मज़बूरी है या आदत ?
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- गरीबी रेखा से कहीं नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों ने इसे आज के समय में अपनी आदत बना ली है।
- तो वही दूसरी तरफ आज भी ऐसे लोग हैं जो खुद्दारी और अपने आत्म सम्मान के साथ किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं करते।
- उत्तर प्रदेश की राजधानी में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला।
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- लखनऊ के हज़रतगंज इलाके में हमने कुछ ऐसे लोगों को देखा जिन्होंने वास्तव में भीख माँगने वालों के लिये एक मिसाल कायम की है।
- इनके जज्बे और हौशले को आप भी दिल से सलाम करने पर मजबूर हो जायेगें।
- समय और हालत ने इनकी आर्थिक स्थिति को तो कमजोर कर दिया मगर इनके हौशले को कमजोर नहीं कर पाई।
- इन्होंने भीख माँगने से बेहतर खुद्दारी की जिन्दगी जीना बेहतर समझा।
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