राष्ट्रपति चुनाव : जानें नएं राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवारी से लेकर वोटों की गिनती तक की पूरी प्रक्रिया।

राष्ट्रपति का चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक के वोट की अहमियत यानी अलग होती है। आपको जान के हैरानी होगी कि अलग-अलग राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू भी अलग होती है। एक सांसद के वोट की कीमत 708 होती है जबकि विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर होती है।

मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 25 जुलाई को पूरा हो रहा है।आने वाली 25 जुलाई को देश को नए राष्ट्रपति मिल जाएंगे। नए राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है।

पहले जानते हैं कि राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

राष्ट्रपति का चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक के वोट की अहमियत यानी अलग होती है। आपको जान के हैरानी होगी कि अलग-अलग राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू भी अलग होती है। एक सांसद के वोट की कीमत 708 होती है जबकि विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर होती है।

कौन लड़ सकता है राष्ट्रपति चुनाव?

चुनाव लड़ने वाला भारत का नागरिक होना चाहिए वा उम्र 35 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। चुनाव लड़ने वाले में लोकसभा का सदस्य होने की पात्रता होनी चाहिए। इलेक्टोरल कॉलेज के पचास प्रस्तावक और पचास समर्थन करने वाले होने चाहिए।

राज्यवार विधायकों के वोट की कितनी अहमियत होती है?

देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की वैल्यू सबसे ज्यादा 208 होती है। वहीं, इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु के एक विधायक के वोट की वैल्यू 176 तो महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट की वैल्यू 175 होती है।बिहार के एक विधायक के वोट की वैल्यू 173 होती है। सबसे कम वैल्यू सिक्किम के विधायकों की है, एक विधायक के वोट की वैल्यू सात होती है। अरुणाचल और मिजोरम के विधायकों के एक विधायक के वोट की वैल्यू आठ होती है

हाउस सदस्यों की संख्या
राज्यसभा 233
लोकसभा 543
राज्यों के विधानसभा 4,120
कुल 4,896

राज्यवार विधायकों के वोट की कितनी अहमियत होती है?

देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की वैल्यू सबसे ज्यादा 208 होती है। वहीं, इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु के एक विधायक के वोट की वैल्यू 176 तो महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट की वैल्यू 175 होती है।

बिहार के एक विधायक के वोट की वैल्यू 173 होती है। सबसे कम वैल्यू सिक्किम के विधायकों की होती है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू सात होती है। इसके बाद नंबर अरुणाचल और मिजोरम के विधायकों का आता है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू आठ होती है।

राज्य   सदस्यों की संख्या एक सदस्य के वोट की वैल्यू सभी सदस्यों के वोट की वैल्यू
आंध्र प्रदेश 175 159 27825
अरुणाचल प्रदेश 60 08 480
असम 126 116 14616
बिहार 243 173 42039
छत्तीसगढ़ 90 129 11610
गोवा 40 20 800
गुजरात 182 147 26754
हरियाणा 90 112 10080
हिमाचल प्रदेश 68 51 3468
जम्मू कश्मीर* 87 72 6264
झारखंड 81 176 14256
कर्नाटक 224  131 29344
केरल 140  152 21280
मध्य प्रदेश 230 131 30130
महाराष्ट्र 288 175  50400
मणिपुर 60 18 1080
मेघालय 60 17 1020
मिजोरम 40 08  320
नगालैंड 60 09 540
ओडिशा 147 149  21903
पंजाब 117 116 13572
राजस्थान 200  129 25800
सिक्किम 32 07 224
तमिलनाडु 234 176 41184
तेलंगाना 119 132 15708
त्रिपुरा 60 26 1560
उत्तराखंड 70  64 4480
उत्तर प्रदेश 403  208 83824
पश्चिम बंगाल 294 151  44394
दिल्ली 70  58  4060
पुडुचेरी 30 16 480
कुल 4120 ————  549495

सांसदों के वोट की क्या होगी वैल्यू?

 

राज्यसभा के 245 में से 233 सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालते हैं। लोकसभा में 543 सांसद वोट डालते हैं। अभी लोकसभा में तीन सीटें रिक्त हैं, राज्यसभा में 15 सीटें रिक्त हैं। आने वाले दिनों में कुछ और भी सीटें खाली होंगी और राष्ट्रपति चुनाव से पहले राज्यसभा सदस्यों के लिए चुनाव होंगे। ऐसे में ये संख्या बढ़ेगी।

राज्यसभा और लोकसभा सदस्यों के एक वोट की कीमत 708 होती है। दोनों सदनों में सदस्यों की संख्या 776 है। इस लिहाज से सांसदों के सभी वोटों की वैल्यू 5,49,408 होती है। अब अगर विधानसभा सदस्यों और सांसदों के वोटों की कुल वैल्यू देखें तो यह 10 लाख 98 हजार 903 हो जाती है। मतलब राष्ट्रपति चुनाव में इतने वैल्यू वाले वोट पड़ेंगे।

एक वोट की कीमत अलग-अलग क्यों होती है?

 

हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की जनसंख्या अलग-अलग है।  इस चुनाव में हर एक वोट की कीमत राज्य की जनसंख्या और वहां की कुल विधानसभा सीटों के हिसाब से तय होती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि हर वोट सही मायने में जनता की नुमाइंदगी करे।

वोटों की ये वैल्यू मौजूदा या आखिरी जनगणना की जनसख्या के आधार पर तय नहीं होती है। इसके लिए 1971 की जनसंख्या को आधार बनाया गया है। राष्ट्रपति चुनाव में जनगणना का आधार 2026 के बाद होने वाली जनगणना के बाद बदलेगा। यानी, 2031 की जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के बाद 1971 की जगह 2031 की जनगणना  के आधार पर सांसदों और विधायकों के वोट की वैल्यू तय होगी।
अब बात विधायक और सांसद के वोट का मूल्य की। दोनों के मूल्य तय करने का तरीका अलग-अलग है। विधायक के वोट का मूल्य एक साधारण सूत्र से तय होता है। सबस पहले उस राज्य की 1971 की जनगणना के मुताबिक जनसंख्या को लेते हैं। इसके बाद उस राज्य के विधायकों की संख्या को सौ से गुणा करते हैं। गुणा करने पर जो संख्या मिलती है उससे कुल जनसख्या को भाग दे देते हैं। इसका नतीजा जो आता है वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होता है, जैसे 1971 में उत्तर प्रदेश की कुल आबादी 8,38,49,905 थी। राज्य में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं। कुल सीटों को 1000 से गुणा करने पर हमें 403000 मिलता है। अब हम   8,38,49,905 को 403000 से भाग देते हैं तो हमें  208.06 जवाब मिलता है। वोट दशमलव में नहीं हो सकता इस तरह उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 होता है।

अब बात सांसदों के वोट की कीमत की करते हैं। सांसदों के वोट की कीमत निकालने के लिए सभी विधायकों के वोट की कीमत को जोड़ लिया जाता है। जोड़ने पर जो संख्या आती है उसे राज्यसभा और लोकसभा के कुल सांसदों की संख्या से भाग दे देते हैं। वही, एक सांसद के वोट की कीमत होती है। जैसे उत्तर प्रदेश के कुल 403 विधायकों के वोट की कुल कीमत 208*403 यानी 83,824 है।
इसी तरह देशभर के सभी विधायकों के वोट की कीमत का जोड़ 549,495 है। राज्यसभा के 233 और लोकसभा के 543 सासंदों का जोड़ 776 है। अब 549495 को 776 से भाग देने पर हमें 708.11 मिलता है। इस पूर्णांक  में 708 लिया जाता है। इस तरह एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है। विधायकों और सांसदों के कुल वोट को मिलाकर ‘इलेक्टोरल कॉलेज’कहा जाता है।  यह संख्या 10,98,903 होती है।

 

क्या पार्टियां इस चुनाव के लिए भी व्हिप जारी करती हैं?

व्हिप एक तरह आदेश होता है तो पार्टियां अपने सांसदों और विधायकों को जारी करती हैं। व्हिप का उल्लंघन करने पर संबंधित सांसद या विधायक की सदस्यता भी चली जाती है। हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव में पार्टियां व्हिप जारी नहीं कर सकती हैं। सांसद और विधायक इस चुनाव में वरीयता के आधार पर वोट करते हैं। यानी, जो आपका पसंद का उम्मीदवार है उसे पहली वरीयता देनी होती है। यानी, उसके नाम के आगे एक लिखना होता है। दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार के नाम के आगे दो नंबर लिखना होता है। सबसे पहले पहली वरीयता वाले वोट गिने जाते हैं। अगर पहली वरीयता में उम्मीदवार को पचास फीसदी से ज्यादा मूल्य के वोट नहीं मिलते तो दूसरी वरीयता के वोटों की गनती होती है।

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