2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से देश के रक्षा बजट में आशातीत वृद्धि की गयी थी, जिसके तहत अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाया जा सके। इसी क्रम में भारत और फ्रांस के बीच ‘राफेल’ विमान की खरीददारी की प्रक्रिया अंतिम चरणों में पहुँच चुकी है। राफेल खरीदने की प्रक्रिया बहुत समय से चल रही थी। सौदे की बातचीत तब रुक गयी थी, जब दोनों ही देश यूनिट प्राइस और भारत में असेंबलिंग को लेकर एक मत नहीं हो पाए थे। नरेन्द्र मोदी की पिछले साल पेरिस दौरे के दौरान 36 राफेल विमान मिलने की बात सामने आई थी। यह विमान अपने छोटे आकर और सटीक निशाने के कारण बेहद खतरनाक है।
‘राफेल’ की खूबियाँ:
- राफेल विमान अन्य लड़ाकू विमानों की अपेक्षा हल्का, लम्बाई और चौड़ाई भी अन्य विमानों से कम।
- हवा से हवा और हवा से जमीन में हमला करने में सक्षम और परमाणु हथियार भी ले जाने में सक्षम।
- 28 किमी/घंटा की न्यूनतम रफ़्तार से 2100 किमी/घंटा की अधिकतम रफ़्तार महज कुछ सेकंड्स में।
- लिक्विड ऑक्सीजन भरने की आवश्यकता नहीं,राफेल में ऑक्सीजन जनरेशन सिस्टम है।
- राफेल में इलेक्ट्रॉनिक स्कैनिंग राडार लगा है, जो दुश्मन की सही लोकेशन को आसानी से पकड़ लेता है।
- एक साथ कई टारगेट पर रख सकता है नज़र।
- यह विमान जमीन और युद्धवाहक पोतों सभी से उड़ान भर सकता है।
- इसमें दो शक्तिशाली इंजन लगे हैं। बिना लैस हुआ इसका वजन 10,300 और हथियारों से लैस होने के बाद इसका वजन 15,000 हो जाता है।
- अधिकतम रफ़्तार 2100 किमी/घंटा है।
- 60 सेकंड्स में 55-60,000 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुँच जाता है।
- किसी भी छोटे से रनवे से उड़ान भरने में सक्षम।
युद्ध की दुनिया में ‘किलर’ के नाम से मशहूर।