भारतीय रेल मंत्रालय ने जल संरक्षण की दिशा में एक पहल की है। अब ट्रेनों को साफ़ करने के लिए ‘ट्रीटेड वाटर’ का इस्तेमाल किया जायेगा। रेल मंत्रालय इस योजना का विस्तार करने की योजना बना रहा है।
चेन्नई के सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर रेलवे प्रशासन द्वारा ‘ट्रीटेड वाटर’ को रीसाइकिलिंग प्लांट से बेसिन ब्रिज, ट्रेन केयर सेंटर में पहुँचाया जायेगा। जहाँ से इसे प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद पाइपलाइन में पहुँचाया जायेगा। इसमें वो सभी प्लेटफॉर्म्स शामिल हैं, जिनसे 200 से ज्यादा अधिक दूरी वाली ट्रेनों का संचालन होता है। प्लेटफॉर्म्स तक पाइपलाइन बिछाने का काम चल रहा है।
रीसाइकिलिंग प्लांट पिछले साल जनवरी में बेसिन ब्रिज में स्थापित किया गया था। इस प्लांट की रीसाइकिलिंग क्षमता 10 लाख लीटर है, जबकि रोजाना इसमें करीब 2 लाख लीटर पानी को ही ट्रीट किया जाता है। रेलवे अधिकारियों द्वारा ‘द हिन्दू’ को दी गयी जानकारी के मुताबिक, दुरंतो और शताब्दी सहित 20 से ज्यादा गाड़ियों के 300 कोचों को साफ़ करने के लिए करीब 2 लाख लीटर पानी इस्तेमाल होता है। रेल मंत्रालय इस योजना को अब प्लेटफॉर्म्स तक पाइपलाइन से पहुँचाने की योजना बना रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, एक रेक को साफ़ करने में करीब 6 घंटे का समय लगता है, जबकि एक रेक को गन्दा करने के लिए एक या दो यात्री ही काफी हैं।
साभार: ‘द हिन्दू’
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