[nextpage title=”Facts About Ravana” ]

रावण को एक महाज्ञानी ब्राह्मण, कुशल योद्धा और शास्त्रों के ज्ञाता के रूप में माना जाता है। लेकिन रावण में इन अच्छाइयों के साथ-साथ कई बुराइयां भी थीं। रावण का सबसे बड़ा दुर्गुण उसका अहंकार था, जो उसके सर्वनाश की वजह बना।

अहंकार के नशे में भगवान श्रीराम से युद्ध करने की गलती ही रावण की मृत्यु का कारण बनी थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान श्रीराम से पराजित होने से पहले रावण ने और भी चार योद्धाओं से युद्ध करने की कोशिश की थी, जिसमें वह बुरी तरह से पराजित हुआ था।

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वानर राज बालि

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रावण ने एक बार वानर राज बालि को युद्ध के लिए ललकारा। उस समय बालि पूजा कर रहा था। बालि ने रावण से उसकी पूजा में विघ्न न डालने की बात कही, लेकिन रावण नहीं माना और युद्ध के लिए ललकारता रहा। रावण को शांत न होते देख बालि ने रावण को अपनी भुजाओं में दबोच कर चार समुद्रों की परिक्रमा लगाई थी। बालि इतना शक्तिशाली था कि रावण सारे प्रयासों के वाबजूद भी स्वयं को उसकी भुजाओं की गिरफ्त से नहीं छुड़ा सका। जिसके बाद रावण ने बालि के सामने अपने घुटने टेक दिए थे।

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[nextpage title=”Facts About Ravana 2″ ]

सहस्त्रबाहु अर्जुन

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कार्तवीर्य अर्जुन की एक हजार भुजाएँ होने की वजह से उसका नाम सहस्त्रबाहु अर्जुन पड़ा था। एक बार रावण ने अपनी सेना के साथ सहस्त्रबाहु पर हमला कर दिया। जिसके बाद सहस्‍त्रबाहु ने अपनी भुजाओं को फैलाकर नर्मदा नदी के प्रवाह को रोक दिया और नदी का पानी रावण और उसकी सेना पर छोड़ दिया। रावण और उसकी सेना नदी के पानी में बह गई थी। यह भी माना जाता है कि रावण ने सहस्‍त्रबाहु पर दोबारा हमला किया था, जिसके बाद सहस्‍त्रबाहु ने उसे बन्दी बनाकर कारागार में डाल दिया था।

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[nextpage title=”Facts About Ravana 3″ ]

दैत्यराज बलि

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महान योद्धा दैत्यराज बलि पाताल लोक के राजा थे। रावण राजा बलि से युद्ध करने उसके महल पहुंच गया था। उस समय राजा बलि के महल में खेल रहे बच्चों ने ही रावण को बन्दी बना लिया और उसे अस्तबल में घोड़ों के साथ कैद कर दिया था।

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[nextpage title=”Facts About Ravana 4″ ]

भगवान शिव

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अहंकार भाव में एक बार रावण भगवान शिव से युद्ध करने कैलाश पर्वत पहुँच गया था। ध्यान में लीन होने के कारण भगवान शिव ने रावण की ललकार को अनसुना कर दिया। जिसके बाद रावण कैलाश पर्वत को अपने हाथों से उठाने लगा।

जिसके बाद भोलेनाथ ने अपने पैर के अंगूठे से कैलाश पर्वत का भार इतना ज्यादा बढ़ा दिया कि रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया। रावण ने उसी समय शिव ताण्डव स्तोत्र की रचना की और स्तुति करने लगा। जिसके बाद भगवान शिव ने रावण को मुक्त कर दिया।

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