भारतीय इतिहास का ऐसा पराक्रमी योद्धा जिसके डर से कांपती थी दुश्मन की लाखों की सेना!
Rupesh Rawat
आज महाराणा प्रताप की 476वीं जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। इतिहास पुरुष महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को उदयपुर, मेवाड के कुम्भलगढ़ दुर्ग में हुआ था। इनके पिता का नाम उदय सिंह और ‘मां’ का नाम जैवन्ताबाई था, जो पाली के सोनगरा अखैराज की पुत्री थीं। महाराणा प्रताप को बचपन में ‘कीका’ के नाम से पुकारा जाता था। महाराणा प्रताप ऐसे योद्धा थे, जो मुगल शासकों के आगे कभी नहीं झुके। उनकी युद्धकला की दुश्मन भी तारीफ करते थे।
जानिए महाराणा प्रताप के शौर्यवान जीवन के कुछ खास तथ्यः
महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो और कवच का वजन भी 72 किलो था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था।
महाराणा प्रताप का स्वयं का वजन 110 किलो और लम्बाई 7 फीट 5 इंच थी। महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर के संग्रहालय में सुरक्षित हैं।
प्रताप की मां जयवंता बाई खुद एक घुड़सवार थीं और उन्होंने अपने बेटे को भी दुनिया का बेहतरीन घुड़सवार और शूरवीर बनाया।
महाराणा प्रताप का घोडा चेतक एक टांग टूटने के बाद भी महाराणा प्रताप को 26 फीट का खाई पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ।
महाराणा प्रताप ने मुगल शहंशाह अकबर की 85,000 सैनिकों वाले विशालकाय सेना को अपने 20,000 सैनिक के पराक्रम से कई बार पराजित किया।
महाराणा प्रताप को 30 वर्षों तक लगातार प्रयास के बावजूद अकबर कभी बंदी नहीं बना सका।
महाराणा प्रताप अपने पास दो तलवारें रखते थे, जिससे दुश्न के निहत्थे होने पर वह उसे एक तलवार दे सकें।
वर्तमान में चित्तौड़ की हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है, जहां स्वयं प्रताप और उनके भाई शक्तिसिंह ने चेतक का दाह-संस्कार किया था।