बहुत सारी कंपनियां ऐसी हैं, जहां काम-काज 24 घंटे चलता है। ऐसे में बहुत सारे लोगों को रात में काम करना पड़ता है अर्थात नाइट शिफ्ट जॉब करना पड़ता है। कहीं आप भी रात की शिफ्ट में काम नहीं करते हैं? अगर हां, तो आपको सावधान रहने की जरूरत हैं। हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार रोजाना नाइट शिफ्ट करने से डीएनए की रिपेयरिंग में कई समस्याएं आ सकती हैं।
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नाइट शिफ्ट जॉब दे सकता शारीरिक समस्या को जन्म :
- हाल ही में हुए शोध के अनुसार रोजाना नाइट शिफ्ट करने से डीएनए की रिपेयरिंग में कई समस्याएं आ सकती हैं।
- रात की शिफ्ट में काम करने से स्लीपिंग हार्मोन मेलाटोनिन के स्राव पर असर पड़ता है।
- रिसर्च में जो बात बातें सामने आई है वह काफी चौंकाने वाली है।
- नाइट शिफ्ट में काम करने वालों लोगों के यूरिन में एक्टिव डीएनए टिश्यू की रिपेयरिंग करने वाले कैमिकल्स का प्रोडक्शन कम होता है।
- इस कैमिकल को 8-ओएच-डीजी के नाम से जाना जाता है।
- रिसर्च के मुताबिक, इससे सेल्यूलर डैमेज की रिपेयरिंग की एबिलिटी में कमी के संकेत मिलते हैं।
- शोधकर्ताओं ने कहा कि इस अंतर के पीछे नींद के हार्मोन मेलाटोनिन का प्रोडक्शन कम होना है।
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आती है 8-ओएच-डीजी की मात्रा में खास कमी :
- फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर वाशिंगटन के प्रवीन भाटी ने इस संबंध में जानकारी दी है।
- कहा कि नतीजों से संकेत मिलता है कि रात के सोने के अपेक्षा, रात में काम करने वालों में 8-ओएच-डीजी की मात्रा में खास तौर से कमी आ जाती है।
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