[nextpage title=”note ban” ]
कहते हैं दो दिन का आया मेहमान भी अगर घर चला जाए तो अगले कुछ दिन एक खालीपन सा रहता है, फिर यहाँ तो साल के अंत में हमसे कुछ ऐसी चीज दूर होने जा रही है जिसे हमने हमेशा सीने से लगा कर रखा था. जनवरी 1978 में बेहिसाब पैसा रखने पर अंकुश लगाने के लिए इस पर रोक जरूर लगा दी गयी थी, मगर 1000 के नोट ने फिर वापसी की, 1000 के नोट का इतिहास है वापसी करने का.
[/nextpage]
[nextpage title=”note ban” ]
अब जब नोटबंदी अपने आखिरी पड़ाव पर है और 31 दिसम्बर से पुराने नोट पूरी तरह से बंद होने वाले थे तभी कल रात कहीं से खबर आई कि हड़बड़ी में मत रहो, पुराने नोट फिर से चलने लगेंगे. बंगाल से लेकर उत्तर प्रदेश तक और गुजरात से लेकर तमिलनाडु तक ये खबर एक झटके में फ़ैल गयी, फैले भी कैसे नहीं ये भारत वही देश है जहाँ भूकंप की खबर से आधी रात को लोग पार्कों में आ जाते हैं और गणेश जी को दूध पिलाने के लिए एटीएम से ज्यादा लम्बी लाइन लगा चुके हैं.
कुछ छोटे बड़े जमींदारों ने मिटटी जहाँ से खोदी थी वहीँ भर दी, बिल्डरों ने अपनी तकियों में से वापिस रुई निकाल ली, कुछ सरकारी इंजीनियर ऑफिस भागे, सारे बाबू खुश थे, क्या अब फिर से घूंस लेने की वही रफ़्तार लौट जाएगी? साहूकारों ने 30% पर पुराने नोट लेने शुरू कर दिए, भारत में फिर से ‘अच्छे दिन’ की महक आनी शुरू हो गयी थी.
बैंक में लाइन गायब देख एक बूढ़ा किसान जिसे 3 पुराने नोट बदलने थे वो मैनेजर के पास गया, बोला “मैनेजर बाबू, क्या ये सच है कि ये नोट फिर से चलने लगेंगे?”, मैनेजर मुस्कुरा कर बोला, “अरे चचा नए नोट कोई सतयुग से थोड़े आये हैं, ये वही तो हैं पुराने वाले, उन्हीं पुराने नोटों को कभी किसी बैंक ने नया किया तो कभी उद्योगपतियों ने, कभी पुराने नोट परिवहन विभाग से होकर गुजरे तो कभी निबंधन विभाग से, बाहर निकलने के बाद कोई वो पुराने थोड़े रह गए?
भ्रष्टाचार की लड़ाई किसी एक व्यक्ति की नहीं हो सकती, कहावत कम शब्दों में है पर मायने बड़े हैं “आप सुधरो, जग सुधरेगा”, 50 दिन का वक़्त प्रधानमन्त्री ने माँगा था आम जनमानस की स्थिति सामान्य करने के लिए, लेकिन काले धन वालों ने तो पांचवे दिन ही अपनी स्थिति सामान्य कर ली थी. हिंदुस्तान के सारे बड़े नेताओं, उद्योगपतियों और सरकारी बाबुओं के पुराने नोट चलेंगे, बस रूप नया होगा, ध्यान से देखिये “31 दिसंबर से फिर से चलेंगे पुराने 1000 और 500 के नोट”. नए शब्दों में कहें तो पुराने नोटों की ‘घर वापसी’ हो गयी!
“नोट बंद नहीं हुए, नोट बंद नहीं हुआ करते”- अज्ञात
[/nextpage]