टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर एक साहसी बल्लेबाज़ के रूप में जाने जाते है. टेस्ट के शहंशाह सुनील गावस्कर को तेज़ गेंदबाजों का बिना हेलमेट के ही सामना करने के लिए जाने जाते है. लेकिन वह केवल मैदान पर ही नहीं बल्कि असल ज़िन्दगी में भी साहसी है. एक कार्यक्रम के दौरान उनके बेटे ने मुंबई दंगों के दौरान हुए एक हादसे के बारे में बताया, जिसमें उन्होंने गज़ब का साहस दिखाते हुए एक परिवार की जान बचाई थी.
गुस्साई भीड़ से भीड़े गावस्कर-
- गावस्कर के बेटे रोहन गावस्कर ने मुंबई दंगों के दौरान का वाकया बताया.
- इस वाकया में उनके पिता के साहस ने उन पर काफ़ी गहरा असर छोड़ा.
- यह वाकया साल 1993 का है जब मुंबई बम धमाकों ने पूरे मुंबई में तहलका मचा दिया था.
- रोहन गावस्कर ने बताया, ‘बम धमाकों के बाद एक दिन हम छत पर खड़े थे.’
- आगे उन्होंने बताया, ‘तभी हमने देखा कि गुस्साई भीड़ ने एक परिवार को घेर रखा है.’
- उन्होंने बताया कि भीड़ का उस परिवार के प्रति इरादे ठीक नहीं थे.
- आगे उन्होंने बताया कि उनके पिता नीचे दौड़े और भीड़ का सामना किया.
- रोहन ने बताया, ‘उन्होंने भीड़ से कहा कि इस परिवार के साथ जो करना है करो लेकिन पहले वैसा ही मेरे साथ करना होगा.’
- गावस्कर के बेटे ने बताया कि ऐसा बोलने के बाद भीड़ में लोगों को सद्बुद्धि आई.
सुनील को मिला लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड-
- ये पूरा वाकया सुनील गावस्कर के बेटे रोहन गावस्कर ने मुंबई खेल पत्रकार संघ (एसजेएएम) में बताई.
- इस कार्यक्रम में सुनील गावस्कर को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
- रोहन गावस्कर ने कहा, ‘अपने जीवन को खतरे में डाल कर भीड़ का सामना करने के लिए विशेष साहस की ज़रूरत होती है.’
- आगे उन्होंने कहा, ‘करियर के दौरान बिना हेलमेट के तेज गेंदबाजों के सामना करने के लिए भी विशेष साहस चाहिए होता है.’