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अति पिछड़ों को संगठन में समाजवादी पार्टी ने दी जगह

2019 के निर्णायक लोकसभा चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी है। इसी क्रम में अब सपा ने अपने संगठन का विस्तार भी शुरू कर दिया है जिससे लोकसभा चुनावों में भाजपा को टक्कर दी जा सके। सपा ने इस बार के लोकसभा चुनावों में अपने परम्परागत वोट बैंक (यादव-मुस्लिम) से ऊपर उठकर अन्या जातियों को भुनाना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि सपा संगठन से पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की जगह अन्य नेता को जगह दी गयी है।

 

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ताकत बढ़ाने में जुटी सपा :

2019 के आगामी लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी पूरी तैयारी में जुट गये है। इस बार के चुनाव के लिए सपा बसपा के साथ गठबंधन को भी तैयार हो गयी है।इसके अलावा सपा अब लोकसभा चुनावों में अच्छे प्रदर्शन के लिए अपनी ताकत बढ़ाने में जुटे है। यही कारण है कि सपा अब अपने परम्परागत वोट बैंक से ऊपर उठकर अन्य पिछड़ी जातियों को अपने पाले में लाने में जुटी हुई है। संगठन में भे बदलाव करते हुए सपा ने पिछड़ी जातियों के नेताओं को तरजीह दी है। पिछले दोनों चुनावों में भाजपा की तरह अति पिछड़ों का रुझान था जिसका खामियाजा सपा को चुनाव में हार से चुका पड़ा था।

संगठन से गायत्री हुए बाहर :

समाजवादी पार्टी की नजर विधानसभा चुनावों के समय से अति पिछड़ों पर रही है। सपा सरकार रहते अखिलेश यादव ने 17 जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाने की मांग उठाई थी। सरकार ने इस पर फैसला भी लिया था मगर हाईकोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी। अब सपा ने अपने संगठन में पिछड़े वर्ग को तरजीह देना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि समाजवादी पार्टी ने संगठन में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को हटकर उनकी जगह दयाराम प्रजापति को रखा है। इस तरह सपा ने पिछड़े वर्ग में गायत्री के स्थान को पूरा करने की कोशिश की है।

 

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