फूलपुर सीट पर होने वाला उपचुनाव काफी रोमाचक होता जा रहा है। भाजपा ने यहाँ से जाति कार्ड खेलते हुए कौशलेंद्र सिंह पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है वहीँ समाजवादी पार्टी ने भी यहाँ से नागेद्र सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है। सियासी गलियारों में तो फूलपुर सीट पर असल लड़ाई समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में बताई जा रही है मगर सही मायनों में देखा जाये तो सपा की असली लड़ाई भाजपा से नहीं बल्कि एक ऐसे उम्मीदवार से है जिसने अंतिम समय में अपनी उम्मीदवारी सीस उपचुनाव में ठोंकी है।
अखिलेश कर रहे 2019 की तैयारी :
समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश के लगातार 2 चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा है। इसके बाद से अखिलेश यादव ने 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियां बड़ी समझदारी से करना शुरू कर दिया है। अखिलेश यादव ने यूपी के जिलों का दौरा कर पदाधिकारियों से मिलना शुरू कर दिया है साथ ही अखिलेश यादव ने दूसरे दलों से आये नेताओं को पार्टी में शामिल कराना भी शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि 2019 में समाजवादी पार्टी ही भाजपा को टक्कर देगी। यही कारण है कि उपचुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ख़ास ध्यान दे रहे हैं।
सपा का अतीक से है असली मुकाबला :
इलाहाबाद के बाहुबली अतीक अहमद का निर्दलीय फूलपुर उपचुनाव में उतरना और पूजा पाल का बसपा से निकाला जाना एक अलग ही तरफ इशारा कर रहा है। हालाँकि बीएसपी फूलपुर उपचुनाव नहीं लड़ रही है मगर उसके परदे के पीछे से अतीक अहमद को समर्थन दिए जाने की खबरें चल रही हैं। हालाँकि पार्टी के बड़े नेताओं ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। इसके अलावा देखें तो अतीक अहमद के उतरने से मुस्लिम वोट बैंक का बिखरना तय माना जा रहा है जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा। अगर अतीक मैदान में न होता तो शायद भाजपा और सपा का मुकाबला कहा भी जाता मगर अतीक के चुनाव मैदान में आते ही इसके मायनें बदल गये हैं।