साल भर पहले अचानक हुए सरकार की नोट बंदी के फैसले ने सभी को हतप्रभ कर दिया था, लेकिन बाद में सरकार ने 500 और 1000 के नोटों को नई डिज़ाइन के साथ लांच किया था. वहीँ उसके बाद से नोट के डिज़ाइन को लेकर कई सारी खबरें आई थी, लेकिन क्या आपको पता है कि भारत की इन नोटों में बने चित्रों की क्या खासियत है. जी हां आज हम आपके लिए ऐसी ही एक खबर लेकर आये हैं. बता दें कि आपको जान कर हैरानी होगी कि आपके जेब में रखें हुए इन नोटों पर “मैं धारक को अदा करने का वचन देता हूं” ऐसा क्यों लिखा होता है. इसके पीछे की बेहद ख़ास वजह है, जो आपके होश उड़ा कर रख देगी.
जाने नोट पर कैसे आया ये गुलाबी रंग:
आपको बता दें कि बीस रुपए का ये नोट दिखने में तो बिल्कुल आम नजर आता है, लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि इस नोट में गुलाबी रंग क्यों होता है.
जब इंदिरा गांधी हमारे देश की प्रधानमंत्री थीं तब उन्होंने 20 रुपए के नोट को जारी करने से पहले एक मीटिंग बुलाई थी. जिसमें ये फैसला लेना था कि नोट का रंग कैसा होना चाहिए.
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आपको बता दें की इस बैठक में इंदिरा गांधी को 20 रूपये के नोट के अलग अलग डिजाईन दिखाए गए थे, लेकिन उन्हें उनमें से कोई भी डिजाइन पसंद नहीं आया.
वहीँ इस वजह से काफी समय बीत जाने बाद भी इंदिरा गांधी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी. उस मीटिंग में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव पी डी कासबेकर भी शामिल थे और उन्होंने नाइलॉन की शर्ट पहनी हुई थी.
बता दें की इस दौरान अचानक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नजर कासबेकर की जेब पर पड़ी उनकी जेब में एक रंगीन लिफाफा था. जिसका रंग इंदिरा जी को बहुत ज्यादा अच्छा लगा और काफी देर तक वह कासबेकर की जेब पर नजरें टिकाए उसे देखती रही.
इसके बाद इंदिरा गांधी ने कासबेकर से वो लिफाफा मांगा और कहा कि मुझे यह रंग और डिजाइन पसंद है. कहा कि 20 का नोट भी इसी रंग का होना चाहिए इस तरह इंदिरा गांधी ने यह फैसला लेते हुए मीटिंग वहीं खत्म कर दी. असल में वह लिफाफा एक शादी का निमंत्रण कार्ड था. 20 रुपए का नोट पहली बार 1 जून 1972 को गुलाबी रंग में छपा था.
इसके बाद आज नोटबंदी के बाद आए 2000 के नोटों में आपको यही गुलाबी रंग नजर आता होगा.
‘मैं धारक को अदा करने का वचन देता हूं’ ऐसा लिखने की ख़ास वजह
आपको बता दें कि हर नोट पर ‘मैं धारक को अदा करने का वचन देता हूं’ ऐसा लिखा होता है, लेकिन इसके पीछे कोई ख़ास वजह भी जुडी हुई है.
बड़ी से बड़ी परिक्षाओं और इंटरव्यू में भी ऐसा पूछा जा चूका है. बता दें कि RBI जितने की करंसी प्रिंट करती है उसी कीमत का गोल्ड अपने पास सुरक्षित रखती है.
इसीलिए RBI धारक को विश्वास दिलाने के लिए हर नोट पर ऐसा लिखती है कि यदि आपके पास बीस रुपया है, तो इसका मतलब यह है कि रिज़र्व बैंक के पास आपका बीस रुपये का सोना रिज़र्व है.
वहीँ इसी तरह से अन्य नोटों पर भी यह लिखा होने का मतलब है कि जो नोट आपके पास है आप उस नोट के धारक है और उसके मूल्य के बराबर आपका सोना रिजर्व बैंक के पास है, और रिजर्व बैंक वो सोना उस नोट के बदले आपको देने के लिए वचनबद्ध है.