कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा पर होने वाले उपचुनावों के लिए समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन ने तैयारियाँ शुरू कर दी है। इन उपचुनावों में गठबंधन अपने साथ बसपा के समर्थन का दावा कर रहा है जिससे कई नये सियासी समीकरण बनते हुए दिखाई दे रहे हैं। सपा और रालोद ने अपने गठबंधन के तहत प्रचार करने वाले स्टार नेताओं के सूची जारी कर दी है। इस सूची में एक बार फिर से शिवपाल यादव को नजरअंदाज करने के साथ ही कई बड़े चेहरों को जगह नहीं दी गयी है जिससे नयी चर्चाएँ शुरू हो गयी हैं। इस बारे में जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से पूछा गया तो उनका जवाब हैरान कर देने वाला था।
मुलायम-शिवपाल नहीं करेंगे प्रचार :
गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनावों की तरह एक बार फिर से सपा में दरार साफ़ तौर पर देखने को मिल रही है। कैराना उपचुनाव में भी सपा संरक्षल मुलायम सिंह यादव और कद्दावर नेता शिवपाल सिंह यादव को जगह नहीं दी गयी है। वहीँ इस लिस्ट से इस बार सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव का नाम भी गायब है जो अपने आप में काफी हैरान कर देने वाला है। एक और ख़ास बात है कि इन उपचुनावों में प्रचार करने अखिलेश यादव कैराना नहीं जायेंगे बल्कि लखनऊ से ही गठबंधन के प्रत्याशी के लिए प्रचार करेंगे।
न बने महासचिव, न ही प्रचारक :
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल अपने भतीजे के प्रति भले नरम पड़ चुके हों लेकिन अखिलेश के तेवर अभी भी सख्त बने हुए हैं। कुछ दिनों पहले खबरें थी कि शिवपाल यादव को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया जा रहा है और कैराना चुनाव में भी वे स्टार प्रचारक के रूप में दिखेंगे लेकिन न वे राष्ट्रीय महासचिव बने और न ही उन्हें स्टार प्रचारक बनाया गया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से इस फैसले के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि काहे चिंता कर रहे हैं, चाचा शिवपाल पार्टी में हैं न। ऐसे में साफ़ है कि दोनों नेताओं के बीच भले बाहर से सब ठीक दिख रहा हो लेकिन अखिलेश यादव अभी भी शिवपाल पर भरोसा करने से कतरा रहे हैं।