भारत का सियाचिन क्षेत्र इस दुनिया के कुछ सबसे ऊँचे और ठंडे स्थानों में से एक है। यहाँ का न्यूनतम तापमान 50 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। भारतीय सेना के जवान बहुत ही मुश्किल के साथ इन परिस्थितियों का सामना करते हैं, जिससे निजात पाने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने एक तकनीक को विकसित कर इस समस्या का हल खोज लिया है।
‘ब्लूएयर’:
- भारत के सबसे ऊँचे और ठंडे सियाचिन के इलाकों में भारतीय सैनिकों को ठण्ड से सुरक्षा देने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने एक कमाल की तकनीक विकसित की है।
- 1984 के बाद से सियाचिन में भारतीय सेना ने अपने करीब 1000 सैनिकों को खो दिया है।
- ठंडे तापमान में सैनिकों की मौत रोकने के लिए विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने दुनिया की सबसे हल्के पदार्थ का निर्माण किया है, जिसका नाम ‘सिलिका एरोजेल’ या ‘ब्लूएयर’ है।
- यह पदार्थ पृथ्वी के साथ ही बाह्य अंतरिक्ष में भी उपयोगी है।
- इसके साथ ही यह शानदार ऊष्मारोधी है, जिस कारण इसे जवानों की वर्दी में अन्दर से लगाया जायेगा ताकि यह शरीर की गर्मी को बाहर निकलने से रोके।
- अनुसंधान के प्रकाश में वैज्ञानिकों ने ये जाना की इस पदार्थ को किसी भी फूल के सिरे पर रखा जा सकता है।
- इस तकनीक का इस्तेमाल राकेट इंजन में भी किया जा सकता है।
- हालाँकि इस तकनीक कई सारी खूबियाँ है पर कुछ कमियां भी हैं जिन्हें वैज्ञानिक दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।
- यह पदार्थ बेहद नाजुक और कमजोर है, इसके लिए वैज्ञानिक कई तरह के प्रयोगों से इस समस्या का समाधान ढूँढने की कोशिश कर रहे हैं।
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