Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
Special News

Special Report:- रबी के फसल के तुरंत बाद खेत में दलहनी फसल मूँग व उर्द की बुवाई करने से मिट्टी की उर्वरा क्षमता में वृद्धि होती है -कृषि रक्षा अधिकारी

sowing-of-pulses-after-rabi-crop-increases-fertility-of-the-soil

sowing-of-pulses-after-rabi-crop-increases-fertility-of-the-soil

रबी के फसल के तुरंत बाद खेत में दलहनी फसल मूँग व उर्द की बुवाई करने से मिट्टी की उर्वरा क्षमता में वृद्धि होती है -कृषि रक्षा अधिकारी

Unnao :

जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया है कि किसान बन्धु रबी की फसल की कटाई के तुरंत बाद जायद के मौसम में ग्रीष्मकालीन मूँग, उर्द व मक्का की फसल उगाकर कमाई कर सकते है। रबी के फसल के तुरंत बाद खेत में दलहनी फसल मूँग व उर्द की बुवाई करने से मिट्टी की उर्वरा क्षमता में वृद्धि होती है। इसकी जड़ांे में स्थित ग्रंथियों में वातावरण से नाइट्रोजन को मृदा में स्थापित करने वाले सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते है। इस नाइट्रोजन का प्रयोग मूँग के बाद बोई जाने वाली फसल द्वारा किया जाता है। रबी फसल के कटाई के तुरंत बाद मूँग, उर्द व मक्का की बुवाई करनी है तो पहले खेतांे की गहरी जुताई करें। इसके बाद एक जुताई कल्टीवेटर तथा देशी हल से कर भलीभांति पाटा लगा देना चाहिए, ताकि खेत समतल हो जाये और नमी बनी रहे। दीमक को रोकने के लिए 02 प्रतिशत क्लोरोपाइरीफाॅस की धूल 8-10 किग्रा/एकड़ की दर से खेत की अंतिम जुताई से पहले खेत में मिलानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि जायद के मौसम में अधिक गर्मी व तेज हवाओं के कारण पौधो की मृत्यु दर अधिक रहती है। खरीफ की अपेक्षा ग्रीष्मकालीन फसल में बीजदर अधिक रखें। स्वस्थ फसल प्राप्त करने के लिए हमें बीजों को बीमारियों से दूर रखना चाहिए जिसके लिए हमें फसलों को बोने से पहले बीजोपचार करना चाहिए। बीजोपचार का उदद्ेश्य न केवल बीज व मृदा जनित बीमारियों की रोकथाम करना होता है वरण जीवित परन्तु सुषुप्त जीवाणुओं के लेप करने के लिए ऐसे माध्यम का प्रयोग करना होता है जो बीज अंकुरण के पश्चात अंकुरित पौधे को एक स्वस्थ एवं ओजपूर्ण विकसित पौधे के लिए नाइट्रोजन एवं स्फुर प्रदान करता है जिससे अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है। फसलों को बीज जनित एवं मृदा जनित रोगों से बचाने के लिए बीजों को बोने से पहले कुछ रासायनिक दवाओं एवं पोशक तत्वों की उपलब्धता बढाने के लिए कुछ जैव उर्वरको से उपचारित किया जाता है। बुवाई के समय फफूंदीनाषक दवा (थीरम या कार्बेन्डाजिम) से 2 ग्राम/किग्रा की दर से बीज को शोधित करें। इसके अलावा राइजोबियम और पी.एस.बी. कल्चर से (250 ग्राम) बीज शोधन अवश्य करें। मूँग व उर्द की 10-12 किलोग्राम बीज के लिए पर्याप्त है।
बीज उपचार की विधिः-बीज को या तो सूखे मिश्रण से उपचारित किया जाता है या फिर बीजों के उपचार हेतु बीज उपचार ड्रम का उपयोग किया जाता है। ड्रम के अन्दर निर्धारित मात्रा में बीज एवं दवा की मात्रा लेकर ड्रम का ढक्कन बंद करके 10-15 मिनट तक घुमाएँ, जब बीज की सतह पर दवा की परत दिखाई दे तब बीजोपचार की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। किसी भी समस्या के निस्तारण हेतु कृषि विभाग में तकनीकि अधिकारियों से तत्काल विकास खण्ड स्तर पर सहायता लें या निःशुल्क व्हाटसएप नं0 9452247111, 9452257111 पर अपना नाम, पता ग्राम एवं जनपद लिखकर घर बैठे ही तकनीकि सलाह ली जा सकती है।

Report:- Sumit

Related posts

वीडियो: देखिये पुलिस थाने में लड़की ने क्यों उतारे कपड़े!

Kumar
8 years ago

PHOTOS: Bollywood Celebs at the B’day Party of Director Anand Rai

Yogita
6 years ago

INDvsBAN, Live Score: पहले दिन बल्लेबाजी करते हुए भारत का स्कोर 356-3

Namita
8 years ago
Exit mobile version