2019 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को टक्कर देने के लिए सपा-बसपा के गठबंधन की बातें होना तेज हो गयी हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कई बार कह चुके हैं कि भाजपा को हराने के लिए वे किसी भी सेक्युलर दल से हाथ मिलाने के लिये तैयार हैं मगर बसपा प्रमुख मायावती ने इस पूरी मामले पर अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लोकसभा चुनावों में सपा-बसपा के गठबंधन में अभी भले समय लगे मगर एक जगह ऐसी है जहाँ पर ये गठबंधन हो गया है।

मेरठ में सपा-बसपा हुए एक :

2019 के लोकसभा चुनावों के लिए सपा-बसपा अलग राहों पर चल रहे हैं मगर भाजपा के खिलाफ होकर दोनों दलों ने आपस में हाथ मिला लिया है। मेरठ नगर निगम में सर्वदलीय पार्षदों ने एकजुट होकर नगरायुक्त कार्यालय के सामने धरना दिया। धरने के साथ ही सर्वदलीय पार्षदों ने नारे भी लगाये। धरना कर रहे सर्वदलीय पार्षदों का आरोप है कि नगरायुक्त अपनी मनमानी से काम कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा सरकार के दबाव में आकर ही बोर्ड बैठक और उपाध्यक्ष पद का चुनाव आगे बढ़ा दिया है। पार्षदों ने कहा कि नगरायुक्त जब तक फैसला नहीं बदलेंगे, उनका धरना ऐसे ही जारी रहेगा। पार्षदों ने कमिश्नर से मिलने के बाद नगरायुक्त का पुतला फूंका और उनके भाजपा के हाथों की कठपुतली होने का आरोप लगाया।

गुरुवार को होना था चुनाव :

नगर निगम कार्यकारिणी के उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव गुरुवार को होने वाला था। इस चुनाव के बाद पुनःरिक्षित बजट पर चर्चा होने वाली थी। मेयर सुनीता वर्मा सहित बसपा के सभी 7 पार्षद सुबह जल्दी नगर निगम पहुंच गए। अब बसपा का आरोप है कि काफी देर तक नगरायुक्त मनोज चौहान और कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा था। मेयर सुनीता वर्मा ने जब नगरायुक्त मनोज चौहान को फोन मिलाया तो उन्होंने कॉल नहीं उठाया। इसके बाद करीब 10.25 पर चुनाव कैंसिल किए जाने की सूचना का नोटिस दीवार पर चस्पा कर दिया। इसके होने के बाद ही सपा-बसपा ने नगर निगम में जमकर धरना दिया और हंगामा काटा।

 

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