सीरिया में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद पेंटागन ने शनिवार (14 अप्रैल) को सीरिया पर हवाई हमले शुरू कर दिए हैं. राजधानी दमिश्क के कई जगहों पर अमेरिका ने मिसाइलें दागी, वहीं जवाबी कार्रवाई में सीरिया की असद सरकार ने भी अमेरिका को जवाब देने के लिए ऑपरेशन शुरू करते हुए एंटी गाइडेड मिसाइल को लॉन्च कर दिया है. इस हमले में बच्चों सहित 75 लोग मारे गए थे.

सीरिया में हमले के बाद रूस- अमरीका आमने सामने: 

अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने सीरिया पर हमला किया है. हमला राजधानी दमिश्क और उसके आस-पास के होम्स जैसे शहरों पर किया गया है. हमले में राजधानी के आस-पास मौजूद सीरियाई सेना और ‘केमिकल रिसर्च सेंटर’ को निशाना बनाया गया है. मिली जानकारी के अनुसार सीरियाई सेना ने भी जवाबी हमला किया है.

सीरिया के पूर्वी गोता के डौमा में हाल में कथित रूप से सीरिया द्वारा रसायनिक हथियारों के इस्तेमाल को लेकर अमेरिका ने पहले ही असद सरकार को चेतावनी दी थी. जिसके बाद आज अमरीका और मित्र राष्ट्रों ने सीरिया पर हमला कर दिया.

पेंटागन के मुताबिक, ये हवाई हमले सीरिया के रासायनिक हथियारों के तीन भंडारगृहों को निशाना बनाकर किए गए. इसमें दमिश्क के पास वैज्ञानिक शोध अनुसंधान इकाई शामिल है, जहां रासायनिक हथियारों का कथित तौर पर उत्पादन होता है. होम्स के पास रासायनिक हथियार भंडारण इकाई और होम्स शहर के अहम सैन्य ठिकाने, जहां रासायनिक हथियारों से जुड़ी सामग्री रखी जाती है.

सीरियन ऑब्जर्वेटरी के मुताबिक, जिन-जिन स्थानों को निशाना बनाकर हमले किए गए, उनमें सीरियाई सेना की 4वीं टुकड़ी और रिपब्लिकन गार्ड भी शामिल हैं. अमेरिकी रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, इस हमले में शामिल अमेरिकी विमानों में बी-1बमवर्षक और जहाज हैं.

Syria
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सीरिया के विपक्षी कार्यकर्ता, बचाव और स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि शनिवार को डूमा में हुए कथित रासायनिक हमले में 75 से अधिक लोगों की मौत हुई है. पूर्वी गूटा क्षेत्र में डूमा विद्रोहियों के कब्ज़े वाला आख़िरी इलाक़ा है. उनका आरोप है कि सीरियाई सरकार की सेनाओं ने ज़हरीले रसायन से भरे बमों को गिराया था. वहीं, सरकार का कहना है कि ये हमले गढ़े गए हैं. गौरतलब है कि फ़रवरी में राष्ट्रपति बशर अल-असद के वफ़ादार बलों ने पूर्वी गूटा में अभियान छेड़ा था जिसमें कथित तौर पर 1,700 नागरिकों की मौत हुई है.

वहीं अमेरिका के डिफेंस सेक्रेटरी ने हमले से जुड़ी अपनी अपील में कहा, “समय आ गया है कि सभी सभ्य देश मिलकर सीरियाई गृह युद्ध को समाप्त करें और इसके लिए वो अमेरिका का साथ दें जिसे पहले से जेनेवा शांति प्रयास का समर्थन हासिल है.” आपको बता दें कि सीरिया में ये गृहयुद्ध साल 2011 में शुरू हुआ था. उस दौर में पूरे मिडिल ईस्ट में तानाशाही के खिलाफ एक मुहिम सी चल पड़ी थी जो सीरिया में पहुंचते-पहुंचते गृहयुद्ध में तब्दील हो गई.

क्या कहना है सीरिया सरकार

सीरियाई सरकार उनके ऊपर लगने वाले रासायनिक हमले के आरोपों को लगातार सिरे से नकार रही है.

उसका आरोप है कि विद्रोहियों ने रिपोर्टों को गढ़ा है और डूमा पर सरकार के कब्ज़े को रोकने की नाक़ाम कोशिश की है.

विदेश मंत्रालय के सूत्र ने सरकारी सेना समाचार एजेंसी को कहा, “आतंकवाद के ख़िलाफ़ हर बार सीरियाई सेना बढ़त बनाती है तो रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का दावा उभरता है.”

रूस भी सीरिया का साथ दे रहा है. जिसमे चलते डूमा को लेकर आई रिपोर्टों को रूसी विदेश मंत्रालय ने ‘फ़र्ज़ी’ क़रार दिया है.

वहीं, रूस ने रासायनिक शस्त्र निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) के विशेषज्ञों से कहा है कि वह जांच के लिए तुरंत सीरिया जाएं और रूसी जवान उन्हें सुरक्षा देंगे.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नाराज़गी:

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने सीरिया में असद सरकार द्वारा कथित रासायनिक हमलो पर नाराज़गी जताते हुए कहा है कि वह डूमा की रिपोर्टों से ख़ासे नाराज़ हैं.

उन्होंने चेतावनी दी है कि ‘रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की पुष्टि होती है तो यह काफ़ी घृणित और अंतरराष्ट्रीय क़ानून का स्पष्ट उल्लंघन होगा.’

वहीं, अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ‘निर्दोष सीरियाई लोगों पर प्रतिबंधित रासायनिक हथियारों से जघन्य हमला हुआ है.

ट्रंप ने कहा था कि वे अमरीकी सेना के वरिष्ठ अफ़सरों से बात करके यह फ़ैसला कर रहे हैं कि हमले के लिए कौन ज़िम्मेदार है.

अमरीका, फ़्रांस और ब्रिटेन ने सीरिया में एक साथ की बमबारी:

-कहा जा रहा है कि ये हमले उन जगहों पर किए जा रहे हैं जहां कथित तौर पर रासायनिक हथियार रखे हैं.

-डूमा में पिछले हफ़्ते संदिग्ध रासायनिक हमलों के जवाब में अमरीका और उसके सहयोगी देशों ने ये हमला किया है.

-हालांकि अमरीका ने इस हमले की चेतावनी पहले ही दे दी थी और सीरिया ने अपनी वायुसेना और हवाई रक्षा प्रणाली को देश भर में हाई अलर्ट पर कर दिय था.

-अमरीका ने सीरिया को धमकी दी थी कि सात अप्रैल को हुए हमले में अगर रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की पुष्टि होती है तो सीरियाई सरकार को ‘बड़ी क़ीमत’ चुकानी होगी.

-अमरीका, फ़्रांस और ब्रिटेन पहले ही इस पर सहमत हो गए थे कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस रासायनिक हमले का जवाब देना होगा.

-जबकि सीरिया सरकार के कुछ विरोधी गुटों ने ऐसे किसी भी संभावित हमले के स्तर को कमतर करके आंका था.

-उनका कहना था कि यह हमले संभवत: सिर्फ रासायनिक हथियारों वाली जगह पर होंगे और इसका मक़सद राष्ट्रपति बशर अल-असद को कमज़ोर करना नहीं होगा.

-विपक्षी ओरिएंट न्यूज़ वेबसाइट ने नौ अप्रैल को ऐसे संभावित एयरबेस और एयरपोर्ट की सूची जारी की थी जिसे निशाना बनाया जा सकता है.

सीरिया पर अमेरिकी हमले से रूस नाराज: 

सीरिया में हमले के बाद रूस ने अमेरिका को चेतावनी दी कि इस तरह की कार्रवाई से रूस और अमरीका में भी युद्ध की आशंका बन जाएगी. संयुक्त राष्ट्र में रूशी राजदूत नेबेनजिया ने अमरिका को चेताते हुए कहा कि इस तरह के हमलो के बाद वह युद्ध के सम्भावना से इनकार नही कर सकते. क्योंकि वाशिंगटन से हुए उनके संवाद में जो सन्देश आये है, वह झगड़ा बढाने वाले है.  नेबेनजिया ने बताया कि अमरीका भली भाति जानता है कि रूस सीरिया के साथ है. गौरतलब है कि रूस अमरीका को पहले भी ऐसे सैन्य हमले के विरोध में चेतावनी दे चुका है.

अमेरिका से नहीं डरता सीरिया:

सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की राजनीतिक एवं मीडिया सलाहकार बौथेना शाबन ने बीते 11 अप्रैल को कहा था कि उनका देश अमेरिका की हमला करने की धमकियों से नहीं डरता. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, शाबन ने एक स्थानीय टेलीविजन को दिए साक्षात्कार में कहा था कि अमेरिका की सीरिया पर हमला करने की धमकियां असल में और दबाव बनाने का हथकंडा है.

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