सूबे के मेरठ जिले में दूध के नमूनों के लैब में परीक्षण के दौरान उनमे यूरिया की मात्रा पाई गयी है। दूध में मिली यूरिया स्वास्थ्य के नज़रिए से बहुत ही हानिकारक है। नमूनों की जांच के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था, जिसमे फूड एंड क्वालिटी कंट्रोल विभाग, आरजी कॉलेज, प्रगति विज्ञान संस्था और जिला विज्ञान क्लब शामिल थे।
20 जगहों के 70 नमूने फेल:
- मेरठ जिले में दूध के नमूनों की जांच के दौरान मिला यूरिया।
- 20 जगह से 70 नमूनों की गयी थी जांच।
- जांच के दौरान सभी 70 नमूनों में यूरिया, जबकि कार्बोहाइड्रेट 75 प्रतिशत, सोडियम बाई कार्बोनेट और डिटरजेंट 50 प्रतिशत नमूनों में, वनस्पति और स्टार्च 45 प्रतिशत नमूनों में पाए गए।
- डॉ. दीक्षा यजुर्वेदी के मुताबिक जिले के आशियाना कॉलोनी, मोदीपुरम, शास्त्री नगर, गांधी आश्रम, कंकरखेड़ा, जयदेवी नगर, किठौर, जाकिर कॉलोनी, फूलबाग कॉलोनी, दिल्ली रोड, पीवीएस रोड, दौराला, जागृति विहार, खैर नगर आदि से दूध और उससे बने उत्पादों के 70 नमूने लिए गए थे। जिनमे से एक भी क्वालिटी चेक के दौरान सही नहीं पाया गया।
- नमूनों की जांच के लिए गठित कार्यशाला में बीएससी स्टूडेंट्स ने की थी जांच।
- स्टूडेंट स्वाति शर्मा, महरुख इफत, शीतल और पूनम गर्ग की देखरेख में हुई नमूनों की जांच।
- कार्यशाला के मुख्य वक्ता दीपक शर्मा ने बताया की दूध में यूरिया की मात्रा से पेट सम्बन्धी बीमारियाँ पनपने लगती हैं। यूरिया किडनी पर भी बुरा प्रभाव डालता है।
जिला विज्ञान क्लब के डिस्ट्रिक कोऑर्डिनेटर दीपक शर्मा ने बताया कि किसानों द्वारा फसलों में अत्यधिक यूरिया का प्रयोग करने से भी दूध में यूरिया देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि यूरिया का असर चारे की फसलों के माध्यम से पशुओं में पहुंचता है। इसके बाद दुधारू पशुओं के दूध में यूरिया का असर देखने को मिलता है। इसके अलावा कुछ लोग मिलावटी दूध में भी यूरिया का इस्तेमाल करते हैं।