रियो ओलंपिक में आज भारत की जिम्नास्टिक दीपा करमाकर को अपना फाइनल खेलना है। आज पूरे देश की निगाहें दीपा करमाकर पर होगींं।
आज दीपा करमाकर खेलेगी अपना फाइनल मुकाबला
- दीपा करमाकर के जिमनास्टिक के फाइनल में पहुंचकर इतिहास कायम किया है।
- भारत ने 52 साल पहले 1964 सेओलंपिक के जिमनास्टिक में हिस्सा लेना शुरू किया था।
- रियो ओलंपिक खेलों के जिम्नास्टिक में पहुँचने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट है दीपा करमाकर।
- दीपा ने जिम्नास्टिक की सभी पांच योग्य सबडिवीजन स्पर्धा के ख़त्म होने के बाद वॉल्ट में आठवें स्थान पर रहीं थी , जो फाइनल में क्वालिफाई करने के लिए आखिरी स्थान था।
बेहद कठिन रहा है दीपा का सफर
- दीपा जब 6 साल की थी, तभी से उसके पिता ने सोच लिया था कि वो इसे जिम्नास्ट बनाएँगे।
- लेकिन दीपा के पैर के तलवे सपाट थे और एथलीट के लिए पैर जमाना, भागना या कूदना आसान नहीं होता है।
- मगर दीपा की जिद थी कि कुछ भी हो जाए, वो जिम्नास्ट नहीं छोड़ेगी।
- दीपा के पिता ने उसे अगरतल्ला के विवेकानंद जिम में ट्रेनिंग के लिए भेज दिया।
साहस को सलामः दीपा कर्माकर बनी ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय जिमनास्ट।
- लेकिन इस जिम में इक्विपमेंट तक नहीं थे फिर भी मैट लगाकर दीपा वॉल्ट की तैयारी करती थी।
- जिम में बारिश के दिनों में पानी भर जाता था जिसके कारण चूहे और कॉकरोच भी आ जाते थे।
- बावजूद इन सभी मुश्किलों के वो अपने हुनर को संवारती गई।
- इसी मेहनत के कारण वह फ़ाइनल में जगह बनाने में सफल रही।
दीपा ने ओलंपिक में रिकॉर्ड बना किया माता-पिता को गौरान्वित !