वीडियो: इस स्कूल में बच्चे ही शिक्षक, चपरासी और विद्यार्थी 

लखनऊ। केंद्र और प्रदेश सरकार भले ही ‘सर्व शिक्षा अभियान’ का नारा बुलंद कर रही हो लेकिन ये नारा धरातल पर नहीं नजर आ रहा है। प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई अभी भी राम भरोसे चल रही है। ये हम नहीं बल्कि ये वीडियो इसका खुद जीता जगता उदाहरण हैं।
बच्चों के पास रहती है स्कूल की चाभी
ताजा मामला कानपुर जीके के चौबेपुर थाना क्षेत्र का है। यहां स्थित देवपालपुर प्राथमिक विद्यालय की स्थिति बहुत बदहाल है। प्राथमिक शिक्षा की तकदीर लाख कोशिशों के बाद भी नहीं सुधर रही है। ये नजारा है काफी हैरान करने वाला है। दरअसल विद्यालय की चाभी एक कक्षा चार के छात्र के पास रहती है। वह सुबह पहले ही स्कूल जाकर विद्यालय को खोलता है। अन्य बच्चे कुर्सी मेज सही कर झाड़ू लगाते हैं।
बच्चे ही शिक्षक, चपरासी और विद्यार्थी
बताया जाता है कि साफ-सफाई के बाद करीब 10 बजे रोजाना अध्यापक पढ़ाने के लिए आते हैं। यहां के बच्चों को टीचर ने जिम्मेदारी दे रखी है कि रोज पहले पहुंचकर विद्यालय खोलें और साफ सफाई करें। विद्यालय में बच्चे ये काम रोजाना करके घंटों अध्यापक का इंतजार करते हैं। यहां बच्चे ही विद्यार्थी, बच्चे ही चपरासी और बच्चे ही शिक्षक हैं। इससे साफ तौर पर पता चल रहा है कि सूबे की शिक्षा व्यवस्था राम भरोसे ही है।
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बच्चों के पास रहती है स्कूल की चाभी
ताजा मामला कानपुर जीके के चौबेपुर थाना क्षेत्र का है। यहां स्थित देवपालपुर प्राथमिक विद्यालय की स्थिति बहुत बदहाल है। प्राथमिक शिक्षा की तकदीर लाख कोशिशों के बाद भी नहीं सुधर रही है। ये नजारा है काफी हैरान करने वाला है। दरअसल विद्यालय की चाभी एक कक्षा चार के छात्र के पास रहती है। वह सुबह पहले ही स्कूल जाकर विद्यालय को खोलता है। अन्य बच्चे कुर्सी मेज सही कर झाड़ू लगाते हैं।
बच्चे ही शिक्षक, चपरासी और विद्यार्थी
बताया जाता है कि साफ-सफाई के बाद करीब 10 बजे रोजाना अध्यापक पढ़ाने के लिए आते हैं। यहां के बच्चों को टीचर ने जिम्मेदारी दे रखी है कि रोज पहले पहुंचकर विद्यालय खोलें और साफ सफाई करें। विद्यालय में बच्चे ये काम रोजाना करके घंटों अध्यापक का इंतजार करते हैं। यहां बच्चे ही विद्यार्थी, बच्चे ही चपरासी और बच्चे ही शिक्षक हैं। इससे साफ तौर पर पता चल रहा है कि सूबे की शिक्षा व्यवस्था राम भरोसे ही है।
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