बेटे की मौत का गम (India vs Pakistan) एक मां-बाप ही बता सकता है। कितना दर्द होता है जिस बेटे को गोद में खिलाकर एक पिता बड़ा करता है और उस बेटे की एक दिन अर्थी भी अपने कंधे पर ले जाना पड़ता है। जबकि पिता की अर्थी को कंधा बेटे को देना चाहिए। यह कहते-कहते परमवीर चक्र विजेता अमर शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के पिता गोपी चंद्र पांडेय के गाल रुंध गए और उनकी आंखों से आंसुओं का सैलाब निकलने लगा।
- बता दें कि रविवार को भारत-पाकिस्तान के बीच हो रहे क्रिकेट मैच का विरोध शहीदों के परिवार वाले कर रहे हैं।
- इसी के चलते uttarpradesh.org की टीम गोमती नगर स्थित शहीद के घर उनके परिवार की प्रतिक्रिया जानने पहुंची थी।
- शहीद के परिवार ने इस मैच का कड़ा विरोध किया।
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मैच से शहीदों के परिवार काफी आहत
- कैप्टन मनोज पांडेय के पिता गोपीचंद्र पांडेय इस मैच से काफी आहत हैं।
- उन्होंने कहा कि जो पाकिस्तानी हमारे देश के सैनिकों के सिर काट ले जाते हैं।
- वहीं भारतीय टीम उन देशद्रोहियों से क्रिकेट के मैदान पर हाथ मिलती है।
- इससे पूरा राष्ट्र आहत होता है।
- उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ हमारे देश की टीम को विरोध करना चाहिए।
- उन्होंने कहा कि इससे शहीदों के परिवार काफी आहत हो रहे हैं।
- उन्होंने कहा हम पीएम मोदी और बीसीसीआई से अपील करते हैं कि इंडिया-पाकिस्तान के मैच पर प्रतिबन्ध लगाए।
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यह परिवार भी दुःखी
- बता दें कि अभी बीते 2 मई को जम्मू कश्मीर में शहीद हुए प्रेम सागर के शव के साथ पाकिस्तान के सैनिकों ने बर्बरता की थी।
- इसलिए शहीद परिवार चैम्पियंस ट्रॉफी का विरोध कर रहा है।
- शहीद के बेटे ईश्वर चन्द का कहना है कि दुश्मनों का गला काटकर लाना चाहिए, उनके साथ मैच नहीं खेलना चाहिए।
- हम इस मैच का विरोध करते हैं।
- उनके परिजनों ने कहा कि पाकिस्तान के साथ हमें कोई रिश्ता नहीं रखना चाहिए।
- वो धोखेबाज और गद्दार है।
- वो भारत में क्रिकेट खेलते हैं और यहां से जो पैसा मिलता है वो आतंकवादियों को देते हैं।
- ईश्वर ने कहा कि सरकार को शहीद परिवारों का दर्द भी समझना चाहिए।
- हमें इस मैच से तकलीफ है।
- वहीं शहीद हेमराज के परिवार ने भी इस क्रिकेट मैच पर सवाल खड़े किए हैं।
- हेमराज के भाई वीरेंदर का कहना है कि पाकिस्तान के साथ मैच होना ही नहीं चाहिए।
- वह हमारे सैनिकों के सर काट कर ले जा रहे हैं और हम मैच खेल रहे हैं यह सरासर गलत है।
- सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि इस मैच को कैंसिल कर आगे भी कोई मैच पाकिस्तान के साथ न खेलें।
- जो सैनिक बॉर्डर पर मरते हैं वह महज नौकरी नहीं करते बल्कि देश की सेवा के लिए शहीद होते हैं।
- हम जैसे परिवारों का दर्द सरकार को समझना चाहिए।
- सरकार को एक्शन लेना चाहिए लेकिन यहां सरकार अपना फायदा देख रही है।
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कौन हैं शहीद मनोज पांडेय?
- गोमतीनगर में रहने वाले गोपीचंद्र पांडेय ने बताया कि वह मूलरूप से नेपाल के रहने वाले हैं।
- लेकिन उनके पूर्वज सीतापुर ज़िले के रुधा गांव में आकर बस गए थे।
- उनकी पत्नी मोहिनी पांडेय हैं।
- गोपीचंद्र के तीन बेटे हैं।
- इनमें मनमोहन पांडेय, मोहित पांडेय, शहीद मनोज पांडेय और बेटी प्रतिभा पांडेय हैं।
- उन्होंने बताया कि मनोज की शिक्षा सैनिक स्कूल लखनऊ में हुई थी।
- वह इसकी स्कूल से पढ़ा और देश सेवा में जुट गया था।
- उसके अंदर अनुशासन के साथ देश प्रेम ऐसा जागा कि वह उचाइयां छूता चला गया और परमवीर चक्र विजेता बना।
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- उन्होंने बताया कि शहीद मनोज पांडेय का जन्म 25 जून 1975 को सीतापुर में ही हुआ था।
- उन्होंने बताया कि बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह प्रतियोगिता में सफल हुआ।
- इसके बाद पुणे के पास खड़कवासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रवेश लेने के बाद मनोज ने प्रशिक्षण पूरा किया।
- फिर वह 11 गोरखा रायफल्स रेजिमेंट की पहली वाहनी के अधिकारी बने।
- 24 वर्ष की उम्र में उन्होंने कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लोहा लिया।
- इस लड़ाई में वह जूझते रहे।
- उन्होंने 1999 की पाकिस्तान की लड़ाई (India vs Pakistan) में जंग तो जीत ली लेकिन अपनी जिंदगी की जंग हार गए।
- उनकी अगुआई में हुई इस लड़ाई में 11 जवान शहीद हुए थे।
- इसके बाद उन्हें सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया।
- आज भी मनोज पांडेय की वीरता को पूरा राष्ट्र उन्हें प्रणाम करता है।
- सारा देश उनकी बहादुरी को प्रणाम करता है।
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चैंपियंस ट्रॉफी: भारत-पाक मैच पर शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के परिवार की प्रतिक्रिया। https://t.co/HSwX2lsOS2
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) June 4, 2017