भारतीय सेना टैंक से लेकर फाइटर जेट में होंगे ये बड़े बदलाव की बड़ी तैयारी कर रहा है। रॉकेट लांचर, ऑटोमेटिक ग्रेनेड लांचर, एंटी टैंक वेपन, एंटी टैंक मिसाइल समेत एंटी टैंक वेपन को और क्षमतावान बनाने पर काम चल रहा है। यह आने वाले समय में सेना के हथियार व एयरक्राफ्ट अधिक तापमान को झेल सकेंगे। आईआईटी कानपुर में हुए एक कार्यक्रम में देश विदेश के वैज्ञानिकों ने इसके संकेत दिए हैं।
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बनाया जा रहा है अधिक क्षमतावान :
- आने वाले समय में सेना के हथियार व एयरक्राफ्ट बढ़ते तापमान को झेल सकेंगे।
- यह 1300 से 1600 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान में एयरक्राफ्ट के टरबाइन व हथियारों के पुर्जे काम करते रहेंगे।
- वैज्ञानिक डा. समीर वी कामत मिसाइल समेत एंटी टैंक वेपन को और क्षमतावान बनाने पर काम कर रहे हैं।
- मैटेरियल्स इंजीनियरिग के अंतर्गत प्रक्रिया करके टंगस्टन को और क्षमतवान बनाया जा रहा है।
- बता दें कि दुश्मनों के टैंकों को ध्वस्त करने वाले एंटी टैंक वेपन टंगस्टन से बनाए जाते हैं।
- दूसरी ओर कुछ हथियारों को हल्का बनाए जाने के लिए एल्युमिनियम व टाइटेनियम एलॉय पर काम हो रहा है।
- इसके अलावा टैंक व दूसरे हथियारों को इस तरह की धातुओं से बनाए जाने पर प्रयोग चल रहा है
- यह 1300 सेंटीग्रेड तापमान बर्दाश्त कर सकेंगे।
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टरबाइन की कूलिंग के लिए चल रहा है आईआईटी खड्गपुर में काम :
- गौरतलब है कि आने वाले समय में एयरोप्लेन टरबाइन को बार-बार ठंडा नहीं करना पड़ेगा।
- सिलीसाइड कंपाउंड के उपयोग से दो हजार डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तक टरबाइन की कूलिंग के लिए आईआईटी खड़गपुर में शोध कार्य चल रहा है।
- शुरुआती चरण में यह शोध कार्य सफल होने के बाद इसे लागू करने की तैयारी है।
- आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर आर मित्रा के मुताबिक अभी तक 1600 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तक ठंडी की जा सकती है।
- यह चार सौ डिग्री सेंटीग्रेड और अधिक तापमान की कूलिंग की जा सकेगी जिससे टरबाइन की लाइफ भी बढ़ेगी।
- साथ ही बार-बार कूलिंग किए जाने की जरूरत न होने के चलते ईंधन भी बचेगा।
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