उत्तर भारत में आज सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत रखी हुई हैं। इस बार वट सावित्री व्रत का काफी शुभ संयोग बना है। आज यह व्रत (Vat savitri pooja) होने के साथ-साथ स्नान दान की अमावस्या और शनि जयंती भी है।
काफी शुभ संयोग बना है आज :
- आज वट सावित्री व्रत होने के साथ-साथ स्नान दान की अमावस्या और शनि जयंती भी है।
- इसलिए इस बार के वट सावित्री व्रत पूजा का बना संयोग काफी शुभ माना जा रहा है।
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वट सावित्री व्रत (Vat savitri pooja) :
- वट सावित्री व्रत सौभाग्य को देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता देने वाला व्रत माना गया है।
- भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक बन चुका है।
- इस व्रत की तिथि को लेकर भिन्न मत हैं।
- स्कंद पुराण तथा भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह व्रत करने का विधान है।
- वहीं निर्णयामृत आदि के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को व्रत करने की बात कही गई है।
वट सावित्री पूजा स्त्रियों का महत्वपूर्ण पर्व :
- पूरे उत्तर भारत में इस दिन सुहागिनें 16 श्रृंगार करके बरगद के पेड़ चारों फेरें लगाकर अपने पति के दीर्घायु होनें की प्रार्थना करती हैं।
- यह पूजा प्यार, श्रद्धा और समर्पण का यह व्रत सच्चे और पवित्र प्रेम की कहानी कहता है।
- ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मां सावित्री ने यमराज के फंदे से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी।
- भारतीय धर्म में वट सावित्री पूजा स्त्रियों का महत्वपूर्ण पर्व है।
- इस पूजा को करने से हमेशा अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीष प्राप्त होता है।
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