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वित्तीय सहायता के अभाव में, अस्तित्व के लिए जूझ रही महिला आइस हॉकी टीम!

women's ice hockey

देश में काफी समय से विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से हर तरह के खेलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ऐसा ही एकनाम है, ‘आइस हॉकी’ का। हाल ही में भारत की आइस हॉकी टीम का प्रदर्शन उत्साहजनक था। इसी क्रम में भारतीय आइस हॉकी की महिला टीम को बनाया गया है, जो ताइपे ताइवान में 22-26 मार्च को आयोजित होने वाले इंटरनेशनल आइस हॉकी फेडरेशन के ‘चैलेंज कप’ में हिस्सा लेगी। सभी खिलाड़ी व कोच लद्दाख से हैं। उनमें से ज्यादातर तो लद्दाख के दूर-दराज़ के उन गांवों में से हैं, जो बिलकुल वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास स्थित हैं।

हमारे देश में आइस हॉकी टीम के पास खुद का प्रैक्टिस रिंक भी उपलब्ध नही है, और हमारे खिलाड़ी वर्तमान समय में गुडगाँव के जिस रिंक में प्रैक्टिस करते हैं उसका क्षेत्र असल रिंक से एक तिहाई है। इसके अलावा आइस हॉकी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया का खुद का रिंक जो देहरादून में है बंद पड़ा हुआ है। लद्दाख विंटर स्पोर्ट्स कल्ब के वाईस प्रेसिडेंट एन ग्यालपो ने बताया की कुल 28 खिलाड़ियों को आइस हॉकी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया द्वारा अनेक गांवो के स्पोर्ट क्लब्स से चुना गया था। जिसमें से केवल 18 लोग ही एडवांस कोचिंग के लिए आ पाए हैं, जो आइस हॉकी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया द्वारा खिलाड़ियों को दी जा रही है। अन्य खिलाड़ियों जो एडवांस कोचिंग के लिए नहीं पहुँच सके उनमे से 6 लोगों के पास उनके पासपोर्ट नही हैं, व अन्य 4 लोग पैसों की कमी के कारण दिल्ली नही जा सके हैं। आइस हॉकी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने जिन खिलाड़ियों को इवेंट के लिए चुना था, उन सभी को अपने खर्च के लिए 15000/- प्रति व्यक्ति जमा करने थे।

इस दौरान एसईसीएमओएल की फाउंडर सोनम वांगचुक ने कथित तौर पर बताया की जिन खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम के लिए चुना गया था, उन्हें इवेंट से जुड़ी तमाम जानकारी देने में देरी की गयी। इसके अलावा कुछ लोग हमसे उनके पासपोर्ट न होने की वजह से नही जुड़ पाए हैं। वांगचुक ने बताया की जो खिलाड़ी लद्दाख के दूर-दराज़ के गांवों में रहते हैं, उनके लिए 15000/- जमा करना वित्तीय बोझ है इसलिए उन्होंने इवेंट में हिस्सा नहीं लिया। इसके अलावा उन्होंने बताया कि एसईसीएमओएल ने खिलाड़ियों की आर्थिक हालत को देखते हुए उनके लिए फंडिंग कार्यक्रम किये हैं, ताकि खिलाड़ियों के लिए वित्तीय सहायता व खेल का सामान आदि ख़रीदा जा सके।

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