अपने दो बार के कार्यकाल के खत्म होने के ठीक एक दिन पहले देश के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बयान से देश में एक बार फिर उस बहस को जन्म दे दिया है जिस पर बीते तीन साल से बीच बीच में चर्चा होती रहती है..क्या मोदी सरकार में मुसलमान में भय व्याप्त है..या देश में एक तबका बार बार इस बात को उठा कर यह जताने की कोशिश कर रहा है कि मौजूदा बीजेपी शासनकाल में मुसलमान सुरक्षित नही है..जिस वक्त देश एक तरफ पाकिस्तान और दूसरी तरफ चीन से मोर्चा संभाल रहा है उस वक्त सवाल यह क्यों नहीं उठता कि देश में किसी एक वर्ग या तबके को नही बल्कि पूरे देश को सुरक्षित रखना है..उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का बयान – ‘’ये आकलन सही है कि देश के मुस्लिम समुदाय में आज घबराहट और असुरक्षा का भाव है. देश के अलग-अलग हिस्सों में मुझे ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं. भारत का समाज सदियों से बहुलतावादी रहा है, लेकिन सबके लिए स्वीकार्यता का ये माहौल अब खतरे में है. लोगों की भारतीयता पर सवाल खड़े करने की प्रवृत्ति भी बेहद चिंताजनक है.’’बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन की प्रतिक्रिया मुसलमानों के लिए पूरी दुनिया में भारत से अच्छा कोई देश नहीं है और न हिंदुओं से बेहतर कोई दोस्त.शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत की प्रतिक्रिया – अगर हामिद अंसारी जी को मुस्लिमों में बेचैनी और असुरक्षा की भावना दिखती है तो इस विषय को लेकर उन्होंने पहले ही अपने पद से इस्तीफा क्यों नहीं दे दिया. अब जब वह जा रहे हैं, तब इस तरीके का बयान दे रहे हैं. उनको पहले ही इस्तीफा देकर जनता के बीच मे जाना चाहिए. अल्पसंख्यक मुस्लिम के लिए देश मे बहुसंख्यक हिंदुओं को गलत नजरिए से देखा जाता है. देश की पूरी मशीनरी मुस्लिमों की सुरक्षा में लगा दी गई है.बीजेपी नेता गिरीराज सिंह की प्रतिक्रिया – पूरी दुनिया में भारत के नागरिकों से ज़्यादा कोई सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा, ‘यहां कोई कुछ भी कह सकता हैं, कोई भी पत्थरबाजों का समर्थन कर सकता हैं, कोई भी अलगाववादियों का समर्थन कर सकता हैं. यहां आधी रात को आतंकियों के लिए कोर्ट खुल सकते हैं, इसलिए भारत में हिंदू और मुसलमान सभी सुरक्षित हैं. भारत जैसा देश कोई नहीं मिलेगा. भारत जैसा अभिव्यक्ति की आज़ादी वाला देश नहीं मिलेगासाक्षी महाराज की प्रतिक्रिया – हामिद अंसारी के बयान से सहमत नहीं हैं. ‘भारत में जितने मुसलमान सुरक्षित हैं, दुनिया में कहीं भी नहीं हैं. देश में जबसे मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं, कोई भी साम्प्रदायिक दंगा नहीं हुआ. जबसे योगी जी मुख्यमंत्री बने हैं यूपी में भी कोई दंगा नहीं हुआ है. हालांकि पत्थर फेंकने वाले, बम फेंकने वाले आतंकवादी सुरक्षित नहीं हैं. ये दुर्भाग्य की बात है कि वे (हामिद अंसारी) तीन साल तक मौज मारते रहे, जब कुर्सी से विदाई का समय आ गया, तो उन्हें मुसलमान असुरक्षित लगने लगा है, इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं हो सकता है..हामिद अंसारी पर एक नजर
- हामिद अंसारी विगत दस वर्षो से देश के उपराष्ट्रपति है.
- तीन साल की मोदी सरकार मे भी उनका तालमेल ठीक रहा औऱ कोई विवाद कभी नही सामने आया.
- अंसारी ने अपने कैरियर की शुरुआत भारतीय विदेश सेवा के एक नौकरशाह के रूप में 1961 में की थी जब उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था.
- वे आस्ट्रेलिया में भारत के उच्चायुक्त भी रहे।.
- बाद में उन्होंने अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, तथा ईरान में भारत के राजदूत के तौर पर भी काम किये.
- 1984 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
- वे मई सन 2000 से मार्च 2004 तक अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रहे.
- उन्हें सन गुजरात दंगों के पीड़ितों को मुआवजा दिलाने और सदभावना के लिए उनकी भूमिका के लिए भी सराहा जाता है.
- खास बात यहै कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बाद हामिद अंसारी दूसरे ऐसे उपराष्ट्रपति है जिन्हे लगातार दूसरे कार्यकाल के लिये भी चुना गया.
तुष्टीकरण बनाम समानता की लड़ाई – दरअसल इस देश मे कई दशक से तुष्टीकरण की राजनीति को बढावा दिया गया लेकिन मोदी सरकार हमेशा तुष्टीकरण के खिलाफ रही है..दरअसल इस देश के सियासी दल ने तुष्टीकरण को मुसलमान की राजनीति से जोड़ दिया जबकि विश्व के पैमाने पर तुष्टीकरण वह हथियार रहा है जो देशों या युद्ध जैसे हालात से बचाता रहा है..
- संविधान के निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर खुद तुष्टीकरण के खिलाफ रहे है.
- अम्बेडकर के अनुसार कुछ वर्ग मौके का फायदा लेकर अपने स्वार्थ के लिए अवैधानिक मार्ग अपनाते हैं.
- शासन इस संबंध में उनकी सहायता करता है, अल्पसंख्यक तुष्टिकरण कहते हैं.
- बाबा साहेब के अनुसार इस नीति में अतिक्रमणकारी लोगों को खरीदना, उनके अनैतिक कार्यों में सहायता करना और उनके अत्याचारों से अजीज लोगों की उपेक्षा करना ही तुष्टिकरण कहलाता है . अम्बेडकर ऐसी निति के हमेशा विरोधी रहे.
हामिद अंसारी पर कब कब विवाद –
- हामिद अंसारी अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुये थे जिस पर राम माधव ने सवाल खड़े किये थे..
- इसको लेकर बीजेपी औऱ कांग्रेस में जमकर विवाद हुआ था.
- 26 जनवरी 2015 को हामिद अंसारी ने गणतंत्र दिवस पर तिरंगे को सलामी नही दी थी..
- इस पर देश मे बहस छिड़ गई थी कि मजहब बड़ा या देश..
- उस परेड में तत्तकालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी शामिल थे…
- ये 30, दिसंबर 2011 की बात है. संसद के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन था.
- आधी रात होने को थी. सदन मे जनलोकपाल बिल पर बहस गर्म हो गई थी..
- आधी रात के करीब हामिद अंसारी सदन में आए.
- उन्होंने चलती बहस को रोक कर अचानक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.
- विपक्ष ने आरोप लगाया कि उपराष्ट्रपति सदन में सत्ता पक्ष को बचाने के लिए आए थे.
- इस घटना के बाद बीजेपी अंसारी से ख़ार खा गई.
- इसी अदावत के चलते बीजेपी ने 2012 में अंसारी के खिलाफ जसवंत सिंह को सांकेतिक विरोध के लिए मैदान में उतारा.
भारत में मुस्लिम हस्तियां…हामिद अंसारी भले ही कहें कि देश में मुसलमानों लग रहा है लेकिन हकीकत इससे कुछ औऱ है..देश की फिल्म इंडस्ट्री पर मुस्लिमों है..सलमान खान…आमिर खान..शाहरुख खान..दिलीप कुमार उर्फ यूनुस खान..सैफ अली खान..इमरान हाशमी, मधुबाला और महमूद से लेकर जानी वाकर तक न जाने कितने नाम है..नसीरुद्दीन शाह..शबाना आजमी, ए आऱ रहमान..अरशद वारसी औऱ इरफान खान..करीब आधी फिल्म इंडस्ट्री मुस्लिमो से भरी हुई है..खेल जगत में सानिया मिर्जा से लेकर मो. कैफ..जहीर खान..नवाब पटौदी , इऱफान पठान जैसे न जाने कितने नाम है..राजनीति मे लंबी फेहरिस्त है..खुद बयान देने वाले हामिद अंसारी को देश ने उपराष्ट्रपति बनाया..एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाया औऱ मोदी खुद उनके निधन के बाद से दो बार रामेश्वरम जा चुके है..फारुख अब्दुल्ला से लेकर मुख्तार अब्बास नकवी तक सलमान खुर्शीद सैफुद्दीन सोज औऱ आजम खान से लेकर ओवैसी तक को देश ने राजनीति में मौका दिया..सवाल यह कि –
- क्या तुष्टीकरण की राजनीति बंद होने के बाद देश के एक वर्ग लगातार बीजेपी के खिलाफ नफरत के बीज बो रहा है..
- क्या देश मे पनपनी नई सोच रुढिवादी सियासत करने वाले नेताओ के बेचैन कर रही है..
- क्या महजबी औऱ जातीय समीकरण की राजनीति बंद होने से गैर भाजपाई दलो मे दहशत फैल गई है..
- यह आवाज तब क्यों नही उठी जब कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने यह कहा था कि देश के संसाधनो पर पहला हक मुसलमानों का है..उस वक्त क्या देश की गैर मुस्लिम आबादी को डर नही लगा था..
- देश ने कश्मीरी पंडितों का नरसंहार देखा उस वक्त किसी को डर नहीं लगा..
- जब अयोध्या मे कारसेवकों पर गोलिया चलाई गई तब देश के हिंदुओ को डर क्यों नही लगा..
- क्या तुष्टीकरण की राजनीति ने देश का सत्यानाश और हिंदू मुस्लिम एकता को नुकसान नही पहुँचाया ..
- हामिद अंसारी को देश का उपराष्ट्रपति बनाते समय देश के गैर मुस्लिम नही डरे..
- जब मुंबई बम धमाके से देश हिल गया था उस वक्त भी देश मे एक सियासी तबका खामोश बैठा था..क्या उस वक्त देश को डर नही लगा था..
Writer:Manas SrivastavaAssociate EditorBharat Samachar