तुम उन्हें रोक तो नहीं सकते: दूसरी किस्त
यह दास्तान उन बाबाओं के मनो-विज्ञान को समझने की दास्तान नहीं, जो अपने अनुयायियों की मजबूरियों से, उनकी संवेदनाओं से,…
तुम उन्हें रोक तो नहीं सकते: एक लम्बी दास्तान की पहली क़िस्त
हां, ये बिलकुल तय है कि तुम उन्हें रोक नहीं सकते… यह कलम, यही मानते हुए ही लिख रहा है…