उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव से पहले टूट की कगार पर पहुँच गयी है, जिसकी पुष्टि रविवार को सीएम अखिलेश ने खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवाकर कर दी है। समाजवादी पार्टी आज इस टूट की कगार पर क्यों पहुंची, आइये जानते हैं।
समाजवादी पार्टी की टूट के प्रमुख कारण:
- कौमी एकता दल के विलय पर मुख्यमंत्री की नाराजगी।
- मंत्री बलराम को किया बाहर।
- शिवपाल ने अखिलेश सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाये।
- सीएम अखिलेश ने शिवपाल और उनके समर्थकों को पार्टी बाहर किया।
- शिवपाल सिंह से उनके विभाग छीन लिए गए।
- सपा प्रमुख ने शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर इस्तीफा देने से रोका।
- शिवपाल सिंह ने अखिलेश समर्थकों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया।
- रामगोपाल को मुख्यमंत्री अखिलेश के पक्ष में पत्र लिखने के चलते निष्कासित किया गया।
- अखिलेश के गुट ने शिवपाल की कार्यशैली पर सवाल उठाये।
- अमर सिंह की समाजवादी पार्टी में वापसी, महासचिव का पद सौंपा गया।
- गठबंधन के इस फैसले पर तकरार और बढ़ गयी।
- चुनाव के मद्देनजर शिवपाल और अखिलेश ने प्रत्याशियों की अलग-अलग सूची जारी की।
- अनुशासनहीनता बताकर अखिलेश और रामगोपाल को पार्टी से बाहर निकाला गया।
- मुख्यमंत्री आवास पर अखिलेश ने 200 विधायकों के साथ शक्ति प्रदर्शन किया।
- रामगोपाल और अखिलेश को पार्टी में वापस लिया गया।
- सपा प्रदेश अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं को नए साल की बधाई देते हुए कहा कि, पार्टी में सब ठीक हो गया है।
- रामगोपाल ने लखनऊ में बुलाया गया अधिवेशन रद्द न होने की बात कही।
- रविवार को अधिवेशन से पहले सपा प्रमुख और शिवपाल सिंह ने बैठक की।
- जिसमें रामगोपाल द्वारा बुलाये गए अधिवेशन को पूरी तरह से असंवैधानिक बताया गया।
- अधिवेशन में जाने वालों पर भी कार्रवाई की चेतावनी जारी।
- राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष को घोषित कर दिया गया।
- सपा प्रमुख को राष्ट्रीय अध्यक्ष से हटाकर संरक्षक बनाया गया।
- अमर सिंह को पार्टी से बाहर किया गया।
- शिवपाल सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया।
- सपा प्रमुख ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने को फर्जी बताया।
- मुलायम सिंह ने 5 जनवरी को पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया।
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