यूपी चुनाव के चौथे चरण में प्रतापगढ़, कौशाम्बी, इलाहाबाद, जालौन, झाँसी, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट, फतेहपुर और रायबरेली में मतदान 23 फ़रवरी को होने हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में 12 में से 7 सीटों पर समाजवादी पार्टी ने कब्ज़ा किया, जबकि 3 पर कांग्रेस और 1 पर बसपा को जीत मिली थी. एक सीट बीजेपी ने उपचुनाव में हार के साथ गँवा दिया था और सपा के पास यहाँ 8 सीटों पर कब्ज़ा हो गया.
इलाहाबाद की 12 विधानसभा सीटों में से आधी सीटों पर दल बदलू हैं चुनाव लड़ रहे हैं. जिस पार्टी के टिकट पर 2012 में चुनाव लड़े उसी के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं और आरोप पर आरोप लगा लगा रहे हैं.
एक नजर दल-बदल के इस खेल पर:
- इलाहाबाद शहर उत्तरी: यहाँ से 2007 और 2012 में हर्ष बाजपेयी बसपा से उम्मीदवार थे.लेकिन इस चुनाव में भाजपा से टिकट मिलने पर कांग्रेस और सपा और बसपा भ्रष्ट और ख़राब बताने में जुटे हुए हैं.
- इलाहाबाद शहर दक्षिणी: इस विधानसभा सीट पर पिछली बार नन्द गोपाल गुप्ता उर्फ़ नन्दी बसपा के टिकट पर विधायक बने थे.यहाँ भी भाजपा से टिकट मिलने पर अब बसपा और मायावती को पानी पीकर कोसने में लगे हुए हैं.
- फूलपुर: हाजी माशूक खान पिछली दफा कांग्रेस के प्रत्याशी थे जो कि अब हाथी पर सवार हो कर कांग्रेस और सपा गठबंधन के खिलाफ जबरदस्त प्रचार करने में लगे हैं. इसी सीट से पिछली बार बसपा प्रत्याशी प्रवीण पटेल को भाजपा ने टिकट दिया है. अब ये भाजपा का गुणगान करने में लगे हुए हैं.
- बारा: इस विधानसभा से सपा के टिकट पर डॉ. अजय कुमार चुनाव लड़े थे जबकि इस चुनाव में इन्होंने भाजपा का दामन थामते ही सपा के गुंडागर्दी को मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है.
- कोरांव: लेफ्ट पार्टी के राम कृपाल अबकी बार कांग्रेस पार्टी के टिकट लड़ रहे हैं. अब इनको सीपीएम में सारी कमियां नजर आ रही हैं.
- फाफामऊ: कांग्रेस के टिकट पर नवाबगंज से विधायक रह चुके विक्रमाजीत मौर्या अब फाफामऊ से भाजपा का झंडा बुलंद कर रहे हैं और राहुल गाँधी को जमकर कोसने का काम कर रहे हैं. साथ ही गठबंधन पर हमला करने से भी नहीं चुक रहे हैं.
सभी दल कर रहे हैं जीत के दावे:
11 फरवरी से 8 मार्च तक होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव का रुख अब पूर्वांचल की तरफ हो चला है. यूपी में सात चरणों में चुनाव हो रहे हैं. तीन चरण के मतदान समाप्त हो चुके हैं. सभी दलों ने जीत के वायदे किये हैं और इन दलों के मुखियाओं की मानें तो 300 से कम सीटें किसी को भी नहीं मिल रही हैं.
उत्तर प्रदेश का चुनाव पीएम मोदी के लिए भी चुनौती है. वहीँ यूपी के लड़के कितना समर्थन जुटा पाते हैं, ये देखना दिलचस्प होगा। मायावती ने भी यूपी चुनाव में प्रचार करने में कमी बाकी नही रखी है और उनका भी यही कहना है कि सरकार तो बसपा ही बनाएगी. तमाम दावों के बीच चुनाव के परिणाम 11 मार्च को घोषित होंगे.