पिछले 27 सालों से यूपी में कांग्रेस की खोयी जमीन वापस तलाशने में जुटे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी 2017 चुनावों में फतेह के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहें हैं। इस बार वे अपने रणनीतिकार प्रशान्त किशोर के साथ मैदान में हैं और पीके की रणनीतियों को अमली जामा पहना रहें हैं। इन सबके बीच एक बात जो गौर करने वाली है कि यूपी आकर राहुल का मिजाज काफी बदल गया है।
- यूपी में राहुल भले ही ‘जात पर न पात पर, बटन दबाओ हाथ पर’ के नारा दे रहे हैं।
- लेकिन इसके पीछे वे अपने रणनीतिकार पीके की सलाह को भी तवज्जो दे रहें हैं।
- शीला दीक्षित को बतौर ब्राह्मण मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने का कदम हो।
- या फिर किसान यात्रा के दौरान राहुल का मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों में जाना, पार्टी धर्म और जाति का हर कार्ड खेलना चाहती है।
- विशेषज्ञ राहुल के इस कदम को सही भी मानते हैं।
- क्योंकि यूपी कि सियासत में धर्म और जाति का विशेष महत्व है।
- कुछ समय पहले तक कांग्रेस के सत्ता में रहने पर राहुल का जो अंदाज था वो कई बार कांग्रेसियों को भी नहीं पसंद आता था।
- यूपी आने से पहले राहुल बात-बात पर अपनी बाहें चढ़ाते देखे जाते थें।
- वे सभाओं में मौजूद जनता का अभिवादन स्वीकारने की जगह अपने मोबाइल में व्यस्त रहतें थें।
- और तो और राहुल इस फिराक में रहतें थें कि जैसे तैसे भाषम खत्म कर आगे बढ़ा जाए।
- लेकिन इस बार ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, राहुल के तेवर बदले-बदेल से नजर आ रहें हैं।
- अब ये सत्ता जाने का गम है या फिर सत्ता में आने की सोची समझी रणनीति इसका जवाब तो राहुल ही दे सकते हैं।
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दिखने लगें हैं ये बदलावः
- यूपी में किसान यात्रा के दौरान राहुल गांधी का स्वभाव पूरी तरह से बदला हुआ नजर आ रहा है।
- भीड़ से दूर भागने वाले राहुल, दिन में भीड़ देखते ही अपनी गाड़ी से बाहर निकल आते हैं।
- यहां वे लोगों से मिलते हैं, सेल्फी खिंचवाते हैं और उनकी बातें भी सुनते हैं।
- यात्रा के दौरान रास्ते में यदि कोई राहुल को देखकर हाथ हिलाता है तो राहुल उसका जवाब जरूर देते हैं।
- यात्रा के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष अब आसपास के लोगों से और यात्रा को कवर कर रहे पत्रकारों से उनका हाल चाल भी पूछते हैं।
- वो अचानक किसी किसान के यहां भी जाते हैं, उससे घुलने-मिलने की कोशिश करते नजर आते हैं।
- राहुल गुड़ बनाने का पूरा सिस्टम देखते हैं और कहते हैं कि तो ऐसे गुड़ बनता है, जरा हमको भी खिलाइए।
- सुबह 10 बजे से देर रात 10 बजे तक बिना बिना रुके सड़कों पर जनता के बीच राहुल कभी बस के दरवाजे पर खड़े होकर अपनी बात कहते हैं।
- तो कभी अपनी कार की छत पर चढ़कर ही वे लोगों को संबोधित करते हैं।
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गीता की शरण में राहुलः
- कभी मंदिर जाने वालों पर टिप्पणी करने वाले राहुल अब गीता में विश्वास जताते हैं।
- उनका कहना है कि, “मैं गीता को मानता हूं, उसमें लिखा है कि सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहिए”।
- खुद को सच्चा बताने के लिए राहुल कहते हैं कि मैं 15 लाख रूपये देने का वादा नहीं कर सकता।
- क्योंकि मैं जानता हूं कि मैं वो वादा पूरा नहीं कर सकता हूं।
- हॉ सत्ता में आने पर कांग्रेस किसानों का कर्जा माफ और बिजली का बिल हॉफ जरूर कर देगी।
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