उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच यूपी चुनाव के तहत गठबंधन हो गया है। गठबंधन के तहत सपा 298 और कांग्रेस 105 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सपा-कांग्रेस के गठबंधन को कुछ लोग जहाँ फायदे का सौदा बता रहे हैं, तो कुछ लोगों का मानना है कि, इससे दोनों ही दलों को नुक्सान हो सकता है।
गठबंधन से कांग्रेस का फायदा और नुक्सान:
फायदा:
- पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कुल 28 सीटें जीती थीं।
- विशेषज्ञों के अनुसार, गठबंधन के बाद कांग्रेस की 8 से 10 सीटें बढ़ सकती हैं।
- गौरतलब है कि, 2012 में कांग्रेस 32 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी और तीन सीटों पर हार का अंतर 500 से कम था।
- इसके अलावा 18 सीटों पर 5 से 15 हजार के अंतर पर कांग्रेस को हार मिली थी।
- जिसके तहत कांग्रेस एक अच्छे कैंडिडेट के साथ अपने सोये हुए परंपरागत वोटर को जगा सकती है।
- इसके साथ ही एक अन्य सम्भावना भी है कि, कांग्रेस इतनी कम सीटों पर क्यों लड़ रही है।
- ऐसा भी संभव है कि, यह गठबंधन सिर्फ 2017 के लिए न हो बल्कि, 2019 की तैयारी भी हो सकती है।
नुक्सान:
- उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का जनाधार अब कांग्रेस के बड़े नेताओं का व्यक्तिगत जनाधार ही रह गया है।
- जिसमें कांग्रेस के करीब दो दर्जन नेताओं का नाम शामिल है।
- शीला दीक्षित को सीएम चेहरे से हटाने के बाद 10 फ़ीसदी ब्राह्मण वोट का नुक्सान उठाना पड़ सकता है।
- जो नेता 2012 में कम अंतर से हारे थे, उन्हें भी गठबंधन की वजह से टिकट नहीं मिल पायेगा।
- जिसकी आशंका के चलते कांग्रेस नेता अन्य दलों में जा रहे हैं।
- कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है, ऐसे में पहले से कम हो रहे जनाधार के बीच पर 105 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
- ऐसे ही चला तो जल्द ही कांग्रेस का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा।
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