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पांच नवंबर को जनेश्वर मिश्र पार्क में समाजवादी पार्टी के रजत जयंती समारोह के आयोजन का जिम्मा तो शिवपाल के कंधों पर था लेकिन समारोह में गूंज अखिलेश के नाम की सुनाई दी। देश के बड़े नेता अखिलेश का हाथ उठाकर उन्हें भविष्य में पार्टी का चेहरा और आने वाले चुनाव में सीएम पद का उम्मीदवार बता रहे थे। वहीं मैदान में मौजूद भीड़ अखिलेश भैया के नारे लगा रही है। सपा सुप्रीमों मुलायम यादव ने सीएम के रूप में अखिलेश के काम की तारीफ भी की और उन्हें चुनाव में सफल होने का आशीर्वाद दिया, लेकिन सीएम और पार्टी फेस पर मुलायम ने चुप्पी साधे रखी।

अगले पेज पर देखेंः- कैसे अखिलेश बने पार्टी का सर्वमान्य चेहरा..

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  • अखिलेश के सियासी सफर की शुरूआत साल 1999-2000 में हुई थी।
  • यही वो वक्त है जब अखिलेश यादव ने राजनीति में पार्दापण किया।
  • उन्हें पार्टी में युवाओं के संगठनों का प्रभारी बनाया गया था।
  • इसके बाद सन 2000 में उन्होंने कन्नौज से लोकसभा का उपचुनाव भी जीता था।
  • उन दिनों अखिलेश पार्टी में नए थे और यह सीट पिता मुलायम सिंह ने खाली की थी।
  • तभी सपा के कार्यक्रमों में अखिलेश का नाम जनेश्वर मिश्र और अमर सिंह आगे बढ़ाया करते थे।
  • जनेश्वर मिश्र अक्सर उन्हें ‘टीपू सुलतान’ कह कर बुलाया करते थे।
  • उस दौर में ही जनेश्वर अखिलेश को समाजवादी पार्टी का भविष्य बताया करते थे।
  • खास बात यह थी कि मुलायम सिंह यादव तब भी अखिलेश के नाम पर खामोश रहें।
  • अखिलेश को राजनीति में स्थापित करने की जिम्मेदारी पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं की थी।

मुलायम की खमोशी के बीच अखिलेश बने सीएमः

  • साल 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को पहली बार पूर्ण बहुमत मिला।
  • बहुमत के बाद विधायक दल का नेता चुनने के लिए पार्टी की बैठक हुई।
  • इस बैठक में चाचा रामगोपाल यादव ने नेता के लिए अखिलेश का नाम आगे बढ़ाया।
  • अखिलेश के नाम पर तमाम नेताओं ने समर्थन किया।
  • लेकिन इस वक्त भी मुलायम खामोश रहे, उन्होंने आगे बढ़कर कोई पहल नहीं की।
  • मुलायम की इस खामोशी के बीच अखिलेश यादव यूपी के सीएम बन गए।

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