उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के घमासान को थामने के मकसद से पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि उनके जीते जी यह पार्टी एक बनी रहेगी। इस एक वाक्य में पार्टी के ताज़ा घटनाक्रम का सार छिपा है। दसअसल मुलायम ने कहा कि उनके रहते पार्टी का कमान उनके हाथ में ही है और अपने बाद का बंदोबस्त वो बहुत ही समझदारी से करते जा रहे हैं।
- फिलहाल समाजवादी पार्टी का झगड़ा अभी पूरी तरह से थमा नहीं है।
- कल मुलायम के हस्तक्षेप के बाद बहुत हद तक तो विवाद हल हो गया।
- लेकिन अब पूरा मामला इस बात पर टिका है कि टिकट बंटवारे का बॉस कौन होगा?
- सीएम अखिलेश खुल कर कह चुकें हैं कि वह नेता जी के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
- लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट बांटने में उनकी अहम भूमिका होनी चाहिए।
- बरहाल बताया जा रहा है कि मुलायम आज इस संबंध में फैसला कर सकते हैं।
- सुलह के फॉर्मूले के बाद चाचा शिवपाल, भतीजे अखिलेश को फिर से मुख्यमंत्री बनाने की बात कह रहे हैं।
- शिवपाल साफ तौर पर कह चुकें हैं कि सीएम अखिलेश ही होंगे, वह उनके बेटे की तरह हैं।
- लेकिन, जितनी आसानी से शिवपाल ये बात कह रहे हैं वास्तव में सबकुछ उतना आसान है नहीं।
- अततः असली पेंच अब टिकट बंटवारे के अधिकार को लेकर फंसा हुआ है।
‘अखिलेश-शिवपाल’ के समर्थक हुए ‘आमने-सामने’, जमकर हुई नारेबाजी!
क्या है टिकट बंटवारे की अहमियतः
- शिवपाल और अखिलेश दोनों ही टिकट बंटवारे में अपनी ज्यादा से ज्यादा भूमिका चाहते हैं।
- टिकट बंटवारे का अधिकार जिसके पास होगा, चुनाव में वो अपने समर्थकों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दे सकेगा।
- बाद में यही लोग सरकार बनाने की स्थिति में अपने नेता का साथ देंगे।
- यही कारण है कि अखिलेश यादव टिकट बंटवारे का अधिकार अपने पास रखना चाहते हैं।
- जबकि प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से नियमानुसार ये अधिकार शिवपाल यादव के पास रहने वाला है।
- इसीलिए अखिलेश के समर्थक शिवपाल के अध्यक्ष बनाये जाने पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
- इस बीच अखिलेश और शिवपाल दोनों के समर्थक सड़क पर उतर आए हैं।
- दोनों ही ओर से पार्टी कार्यालय के पास समर्थक जुटे हुए हैं, वे अपने-अपने नेताओं के समर्थन में नारे लगा रहे हैं।
- अब सवाल ये है कि टिकट बंटवारे के अधिकार का ये विवाद कैसे खत्म होगा ?