मंगलवार को समाजवादी कुनबे की रार खुलकर सामने आ गई। बकरीद की छुट्टी के बावजूद लगातार तीन फैसलों ने उत्तर प्रदेश की सियासत और नौकरशाही में हलचल पैदा कर दी। सुबह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुख्य सचिव दीपक सिंघल की छुट्टी करते हुए उनकी जगह राहुल भटनागर की ताजपोशी कर दी तो शाम होते-होते सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने अनुज और मंत्री शिवपाल सिंह यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंप दी। अभी तक यह दायित्व मुख्यमंत्री के ही पास था। इसके कुछ देर बाद ही मुख्यमंत्री ने मंत्री शिवपाल सिंह यादव से सभी महत्वपूर्ण विभाग ले लिए। समाजवादी कुनबे में ये तीनों फैसले बड़े कलह की ओर इशारा कर रहे हैं।
- पिछले तीन दिनों में उत्तर प्रदेश में जो सियासी घटनाक्रम रहा है।
- उसके बाद प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा सियासी संकट उभरकर सामने आया है।
- सपा का शीर्ष नेतृत्व और शिवपाल यादव आल इज वेल की बात कर रहें हैं।
- लेकिन एक बात तो साथ है कि पार्टी के मतभेद खुल कर सामने आ रहे हैं।
- खास बात यह है कि आपसी विवाद तो निपट जाएगा लेकिन चुनावी साल में जनता के बीच गलत संदेश जा चुका है।
समाजवादी परिवार में इस महाभारत के लिए जिम्मेदार ‘शकुनि’ कौन?
मुस्लिम मतदाताओं में गया गलत संदेशः
- जानकारों का मानना है कि सबसे बड़ा गलत संदेश मुस्लिम मतदाताओं में गया है।
- जो समाजवादी पार्टी का सबसे महत्वपूर्ण वोट बैंक हैं।
- इस घमसान की वजह मुस्लिम मतदाता निश्चित रूप से गुमराह हो गया है।
- मुस्लिमों को समाजवादी पार्टी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है।
- अब समाजवादी पार्टी को जल्द ही डैमेज कंट्रोल करना होगा वरना चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।