उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव का पहला चरण शनिवार 11 फरवरी को संपन्न हो चुका है। 403 विधानसभाओं में से 73 विधानसभाओं की जनता राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों की किस्मत को EVM मशीन में कैद कर चुकी है, पहले चरण के लिए सूबे की 15 जिलों की 73 विधानसभा सीटों सीटों पर मतदान किया गया। इस दौरान 73 सीटों पर कुल 840 प्रत्याशी मैदान में थे, जिनमें से महिला प्रत्याशियों की संख्या 77 है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का पहला चरण(एक नजर):
- कुल वोटर्स: 2 करोड़ 60 लाख 67 हज़ार वोटर
- प्रत्याशी: 839
- महिला प्रत्याशी: 77
- पोलिग बूथ: 26823
- कण्ट्रोल यूनिट: 26823
- 42 EVM बदली गयीं
- 219414 पुलिस
- 62 जनरल ऑब्जर्वर
- 124528 पोलिंग कर्मी
- 3888 वीडियो कैमरा
- 2857 वेद कॉस्टिंग
- 22 लाख कीमत के होर्डिंग्स को हटाया गया
- 4253 नॉन बेलेबल वारंट
गैलरी:
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2012 में सीटों की स्थिति:
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुल 73 सीटों पर मतदान हुआ।
- साल 2012 में इन 73 सीटों पर दलों की स्थिति कुछ इस प्रकार थी।
- समाजवादी पार्टी: 24
- बहुजन समाज पार्टी: 23
- भारतीय जनता पार्टी: 12
- राष्ट्रीय लोक दल: 09
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस: 05
पहला चरण (11 फरवरी):
- कुल विधानसभा सीट: 73
- जिलों की संख्या: 15
- जिले: शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, एटा और कासगंज।
पहले चरण के चुनाव के बड़े चेहरे:
- संदीप सिंह, अतरौली
- अजित पाल त्यागी, गाजियाबाद,
- लक्ष्मीकांत बाजपेयी, मेरठ शहर
- श्रीकांत शर्मा, माट, मथुरा,
- पंकज सिंह, नोएडा
- शाहिद मंजूर, किठौर
- संगीत सोम, सरधना
- सुरेश राणा, मुजफ्फरनगर
- रानी पक्षालिका, बाह, आगरा
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में हुई थी टक्कर:
- यूपी चुनाव 2017 का पहला चरण शनिवार 11 फरवरी को संपन्न हो चुका है।
- जिसमें करीब 15 जिलों की 73 सीटों की 63 फ़ीसदी जनता ने प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला कर दिया है।
- जिसकी घोषणा 11 मार्च, 2017 को की जाएगी।
- अगर साल 2012 के चुनावों पर नजर डालें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली थी।
- जहाँ बसपा को 23 और सपा को 24 सीटें मिलीं थीं, वहीँ भाजपा को 13 सीटें मिली थीं।
- गौरतलब है कि, मथुरा की मांट सीट उपचुनाव के दौरान भाजपा के पास आ गयी थी।
- मांट के साथ ही भाजपा को मथुरा से ही गोवर्धन विधानसभा की सीट भाजपा के पास आ गयी थी।
- वहीँ अलीगढ़ की बरौली विधानसभा सीट से RLD विधायक भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
मुजफ्फरनगर दंगों का असर:
- 2013 अगस्त में मुजफ्फरनगर दंगे हुए थे, जो उत्तर प्रदेश के अब तक के सबसे बड़े दंगों में से एक है।
- वहीँ दंगों के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश दो धड़ों में बंटता हुआ नजर आता है।
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दंगों के बाद 2014 में वोटों का ध्रुवीकरण साफ़ देखने को मिला था।
- हिन्दू बाहुल्य इलाका होने के कारण भाजपा को थोड़ा सा फायदा होता नजर आता है।
- वहीँ बसपा सुप्रीमो मायावती इलाके में दलित-मुस्लिम समीकरण के सहारे हैं।
बदले हुए समीकरण:
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 2017 में समीकरण बदल चुके हैं।
- आरक्षण के मुद्दे पर नाराज जाट ने भाजपा से अलग RLD को ज्यादा तवज्जो दी।
- वहीँ RLD प्रमुख भी इस बात को भांपकर कई रैलियों में यह कह चुके हैं कि, वे किसी भी सूरत में भाजपा से गठबंधन नहीं करेंगे।
- अजित सिंह ने जाटों के गुस्से को भुनाने की पूरी कोशिश की थी।
समाजवादी पार्टी का किनारा:
- सूत्रों के अनुसार, अखिलेश यादव ने RLD से गठबंधन भी इसीलिए तोड़ा था क्योंकि गठबंधन में अजित सिंह के साथ जाट सीट नहीं आती।
- कारण क्षेत्र में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पनपा सांप्रदायिक तनाव।
- साथ ही मौजूदा परिस्थितियों के मुताबिक जाट और मुस्लिम वोट किसी एक पार्टी में नहीं जा सकते थे।
- इसलिए RLD का खुद से चुनाव लड़ना अखिलेश यादव के लिए कहीं न कहीं फायदेमंद है और भाजपा के लिए चिंता का विषय।