यूपी में चुनावों से पहले राजनीति शुरू हो चुकी है. सत्तारूढ़ पार्टी तरह-तरह के वादे और लुभावनी घोषणाओं के माध्यम से लोगों का दिल जीतने की कोशिश में है. वहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी बढ़-चढ़कर सभी कार्यक्रमों के दौरान यूपी में हुए विकास की बातें करते हैं. विपक्षी दलों को चुनौती देते हुए अखिलेश यादव का कहना है कि प्रदेश में विकास ही मुख्य मुद्दा है. लेकिन इस बीच मुख्यमंत्री ये भूल गए हैं कि प्रदेश में करीब 1.5 करोड़ युवा हैं और उन्हें रोजगार की जरुरत है.
विकास के मुद्दे में खो गया रोजगार का मुद्दा:
- अखिलेश यादव ने कई दफे अपनी योजनाओं के बारे में बताया है.
- रैलियों और सभाओं के माध्यम से उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की बात करते रहे हैं.
- प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अभी भी रोजगार जैसा मुद्दा चर्चा के लायक नही है.
- हैरानी की बात ये भी है कि तमाम विपक्षी दलों को भी रोजगार कोई मुद्दा नजर नहीं आ रहा है.
- ऐसा लगता है कि होड़ मची है मुद्दे चुनकर चुनाव लड़ने में और रोजगार को अछूत मान लिया गया है.
- उत्तर प्रदेश में चपरासी कि नौकरी पाने के लिए MBA और अन्य डिग्री होल्डर लाइन लगाये खड़े थे.
- इसमें से डेढ़ लाख के पास ग्रैजुएशन की डिग्री और करीब 25 हजार के पास पोस्ट ग्रैजुएशन की डिग्री है.
- यानी उत्तर प्रदेश के करीब 2 लाख नौजवान एमए बीए की डिग्री लेकर चपरासी बनना चाहते हैं.
साल 2015 को मुख्यमंत्री इतना जल्दी भूल गए जब 368 पदों के लिए करीब 23 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे. जिसमें लाखों ग्रेजुएट्स थे. यही नहीं MBA डॉक्टरेट और इंजिनियर कि डिग्री वाले अभ्यार्थी भी थे.
उद्योगों का बुरा हाल और युवा बेहाल:
- रोजगार के नाम पर अखिलेश यादव को खास सफलता नहीं मिल पायी.
- नॉएडा के अलावा और कहीं निवेश के लिए कंपनियां नहीं आयीं.
- उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी महामारी बनती जा रही है.
- फिर भी प्रदेश के मुखिया विकास के नाम पर चुनाव लड़ने और जीतने का दम भरते दिखाई दे रहे हैं.
- बात चाहे इलाहाबाद के नैनी हो या फिर कानपुर की जो कभी यूपी में उद्योगों के लिए जाने जाते थे.
- अब इन शहरों की हालत खस्ता है.
- बुनियादी सुविधाओं के आभाव में उद्योगों ने दम तोड़ दिया.
- कानपूर उद्योगों के लिए जाना जाता था लेकिन इसके अलावा कोई अन्य क्षेत्र उद्योग के मामले में आगे नही बढ़ पाया.
सरकारी नीतियों और कंपनियों द्वारा मुंह फेर लेने के बाद यूपी के युवाओं को दुसरे राज्यों में नौकरी की संभावना तलाश करनी पड़ती है. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से अखिलेश यादव आगामी चुनाव में जीत हासिल करने के लिए सोशल मीडिया की टीम को अमेरिका भेज रहे हैं. लेकिन यूपी चुनावों में रोजगार को मुद्दा बनाकर मैदान में उतरने से कतरा रहे हैं.