यूँ तो राजनीति में अब किसी पार्टी द्वारा विरोध प्रदर्शन करना आम बात है। लेकिन दीगर ही ऐसे हालात देखने को मिलते हैं जब पार्टी अपने सैद्धांतिक गुरु के अपमान पर चुप हो जाये। ऐसा करने के पीछे भी कोई कारण रहा होगा। लेकिन ऐसा किस वजह से किया जा रहा है ये सवाल भी उठने लाजिमी हैं।
बीते दिनों समाजवादी पार्टी के कद्दावर मुस्लिम नेता और कैबिनेट मंत्री आजम खान एक बार फिर विवादों में आये। विवादों में आना उनके किये नयी बात नही थी। अक्सर वो अपने तीखी प्रतिक्रिया के विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आ जाते हैं। इसी क्रम में उन्होंने बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर पर टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा कि ‘ये हो अम्बेडकर जी हाथ उठाये हैं, वो इशारा कर रहे हैं कि सब कुछ मेरा है।’
इस टिप्पणी के बाद सियासत तो गर्म होनी थी और हुई भी। सभी विपक्षी दलों ने इस टिप्पणी पर आज़म खान को बुरा कहा। बीजेपी ने लखनऊ सहित कई जगहों पर आजम खान का पुतला फूंका। लेकिन हैरान करने वाली बात थी, मायावती का रवैया। मायावती बसपा की सर्वेसर्वा हैं और अम्बेडकर के विचारों को अपना सबकुछ मानने का दावा करती हैं। लेकिन सपा मंत्री के बयान पर मायावती के तेवर में नरमी कुछ और इशारा कर रही है। ना बसपा की तरफ से कोई प्रदर्शन हुआ और ना हो-हल्ला।
मायावती स्वयं प्रेस कांफ्रेस के जरिये आजम खान के बयान की निंदा करने के अलावा माफी की मांग की। उन्होंने कहा कि आज़म खान अपने बयान के लिए माफी मांगें। फ़िलहाल आज़म खान का ऐसा इरादा नही लगता है।
जब मायावती का हुआ था अपमान:
- कुछ पखवाड़े पूर्व ऐसी ही एक घटना हुई थी।
- जब बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने मायावती के खिलाफ अपशब्द कहे थे।
- उस वक्त मायावती ने स्वंय संसद के पटल पर खुलेआम दयाशंकर सिंह के परिवार को धमकाया था।
- पुरे प्रदेश में जोरदार प्रदर्शन हुआ।
- बसपा समर्थकों ने मर्यादाओं की सीमायें तक तोड़ दी।
- कीचड़ को कीचड़ से धोने की कोशिश होने लगी थी।
- दयाशंकर सिंह की बीवी और बेटी को पेश करने के नारे लगे थे।
- मामला गंभीर हो चला था।
- उसी वक्त स्वाति सिंह ने मोर्चा संभाला और फिर हो हुआ वो एक घटनाक्रम का हिस्सा बनता चला गया।
प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बुआजी के अपमान पर दयाशंकर सिंह को ढूंढ़ने के लिए प्रदेश की पुलिस पीछे लगा थी। कड़ी मशक्कत के बाद दयाशंकर गिरफ्तार भी हो गए। लेकिन एक और घटनाक्रम जिसका जिक्र आजकल नही हो रहा है। दयाशंकर सिंह की बेटी को अपमानित करने के जुर्म में ‘पोक्सो’ के तहत कई बसपा नेताओं पर मुकदमा दायर किया गया। इसमें नसीमुद्दीन सिद्दीकी का नाम प्रमुख था। लेकिन बसपा के किसी नेता की गिरफ़्तारी नही हुई।
भतीजे के एहसानों का बदला चुकाने का सही वक्त:
- अब जब मुश्किल समय में बुआजी के साथ अखिलेश यादव आये तो बुआजी कैसे भतीजे को नाराज कर दें।
- तो अब बुआजी आज़म खान के बयान को लेकर सपा सरकार पर दबाव नही बना रही हैं.
- उन्हें दयाशंकर सिंह मामले में अखिलेश यादव ने खुलकर मदद की।
- इस स्थिति में आज़म खान पर दबाव बनाकर बुआजी भतीजे को नाराज करना नहीं चाहेंगी।
- बुआजी शायद भतीजे के एहसानों का बदला चुकाने के लिए अम्बेडकर के अपमान का घूंट पीने के लिए तैयार हैं।
- तमाम बसपा समर्थकों की चुप्पी भी इशारों इशारों में इस बात के संकेत दे रही है.