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UP Election 2017

मायावती की ‘महारैली’ विपक्षी दलों के लिए बन रही है मुसीबत!

mayawati bsp saharanpur rally

उत्तर प्रदेश में चुनावों की धमक महसूस की जा सकती है। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले सभी प्रमुख पार्टियां तरह-तरह के हथकंडे अपना रही हैं। कांग्रेस ने प्रदेश की कमान ही पूरी तरह बदल दी। एक तरफ राहुल गांधी की किसान यात्रा जोरों पर है वहीं प्रियंका के भी रायबरेली से बाहर आकर प्रचार करना लगभग तय है। पीके ने चाय पर चर्चा की तर्ज पर खाट पर चर्चा भी शुरू कर दिया। लगभग महीने भर पहले सोनिया गांधी भी काशी में रोड शो कर चुकी हैं। आश्चर्यजनक रूप से दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को यूपी का चेहरा बना दिया गया। अब चुनाव में शीला पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से पार पाना आसान नही होगा।

सपा भी डैमेज कंट्रोल में जुटी:

दुसरी ओर, भाजपा अभी भी असमंजस की स्थिति में है। पार्टी ने अभी तक CM का चेहरा तय नही किया है। वरुण गांधी पार्टी की मुसीबतें बढ़ाने से बाज नही आ रहे हैं। पार्टी को थोड़ी-बहुत राहत बसपा के बागियों स्वामी प्रसाद और ब्रजेश पाठक के बीजेपी में शामिल होने से मिली। लेकिन मायावती-दयाशंकर सिंह प्रकरण के बाद पार्टी की जो किरकिरी हुई है उसकी भरपाई आसान नही। पार्टी का चुनाव-प्रचार भी पीएम मोदी के इर्द-गिर्द घूमने की संभावना है। पार्टी के स्थानीय इकाई में कलह ने आलाकमान की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं।

महारैली ने विपक्षियों की बढ़ाई मुसीबत:

मायावती ने पिछले दिनों दो बड़ी जनसभा को संबोधित करके विपक्षियों सोचने को मजबूर कर दिया है। मायावती ने आगरा और आजमगढ़ में ऐतिसाहिक रैलियों के माध्यम से अपनी ताकत से विपक्षियों को रूबरू करा दिया है। गाली-कांड के बाद किस प्रकार बसपा एकजुट हुई है ये सबके सामने है। इस बीच स्वामी प्रसाद और ब्रजेश पाठक का बसपा से जाना एक झटका जरूर था। लेकिन पूर्वांचल के क्षत्रिय नेता और बाहुबली धनंजय सिंह बसपा में वापस आ चुके हैं। इनके शामिल होने के बाद पार्टी अब पूर्वांचल में भी टक्कर देने के मूड है और क्षत्रिय वोटरों पर निगाहें जमा रही है।

दिन प्रतिदिन मायावती की रैली में बढ़ती भीड़ विपक्षी दलों के माथे पर सिकन पैदा कर रही है। आजमगढ़ की रैली से मायावती ने एक तीर से दो निशाने लगाये। मुलायम के संसदीय क्षेत्र में लाखों की भीड़ सपा के हौसले पस्त करने के लिए काफी थी। वहीं इस रैली के बाद पूर्वांचल में बसपा अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। इस बात का अंदाजा भी अन्य दलों को बखूबी हो चूका है। 11 सितंबर को होने वाली बसपा की सहारनपुर रैली भी महारैली का रूप लेगी, इसमें कोई शंशय नजर नही आता है।

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