उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी के भविष्य का फैसला चुनाव आयोग ने कर दिया है। जिसके साथ ही यूपी में सपा कांग्रेस के गठबंधन पर भी फैसला हो गया है। वहीँ समाजवादी पार्टी के शीर्ष और वरिष्ठ नेताओं को पीछे कर मुख्यमंत्री अखिलेश ने पूरी तरह से पार्टी की कमान संभाल ली है।
मुलायम खेमे का आत्मसमर्पण:
- 16 जनवरी को चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री अखिलेश के हक़ में फैसला सुनाया था।
- जिसके बाद मुलायम सिंह यादव खेमे ने पार्टी पर मालिकाना हक़ की लड़ाई में हथियार डाल दिए हैं।
- चुनाव आयोग के फैसले के बाद सपा परिवार की महामीटिंग हुई थी।
- जिसमें सभी विवाद खत्म करने की बात कही गयी थी।
- सपा प्रमुख ने ये भी कहा था कि, सत्ता वापसी की खातिर सभी कार्यकर्ता लग जाएँ।
- साथ ही परिवार की एकता के खिलाफ कोई भी बयान न देनें की भी बात कही थी।
- इतना ही नहीं सपा प्रमुख ने अखिलेश यादव को 38 उम्मीदवारों की लिस्ट भी अखिलेश यादव को सौंपी थी।
- जिसका सीधा-सीधा मतलब है कि, सपा प्रमुख ने बेटे के आगे घुटने टेक दिए हैं।
इमेज मेकिंग या पार्टी की सफाई:
- समाजवादी पार्टी के चुनाव निशान पर जिस तरह से चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया है।
- उसके बाद सभी के मन में ये सवाल आ रहा है कि, ये पूरी नूराकुश्ती अखिलेश इमेज मेकिंग के लिए थी या पार्टी की सफाई के लिए?
- जिस तरह से मुख्यमंत्री अखिलेश ने अपने पिता-चाचा को किनारा करवाया है, उसे देखकर कहीं न कहीं सपा प्रमुख काफी खुश होंगे।
- आख़िरकार बेटा पिता के ही तो नक्शेकदम पर चल रहा है।
- वहीँ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी इस विवाद के जरिये अपने चाचा शिवपाल सिंह की भूमिका को खत्म करने में पूरी तरह से कामयाब रहे हैं।
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