करीब एक महीने पहले से समाजवादी पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और रालोद के नेताओं से मुलाकात कर बिहार की तर्ज पर यूपी में महागठबंधन बनाने की कोशिशों में जुटे कांग्रेस रणनीतिकार प्रशान्त किशोर को सपा प्रमुख के बयान से गहरा आघात लगा है। सपा प्रमुख के इंकार के बाद से कांग्रेस की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रहीं हैं। महागठबंधन से मुलायम के हाथ पीछे खींचने के चाहे जो भी कारण हों, इसका सबसे ज्यादा खामियाजा कांग्रेस को ही भुगतना पड़ रहा है।
- कांग्रेस के अंदरखाने अभी तक दबी जुबान पीके की मनमानी देख रहे पीके विरोधी खेमें ने सक्रियता बढ़ा दी है।
- पार्टी में पीके विरोधी लामबंदी मुखर होने से कांग्रेस का प्रचार अभियान भी प्रभावित हो रहा है।
- पार्टी के अंदरखाने दलित संदेश अभियान से टीम पीके की दूर रखने की आवाज बुलंद हो रही है।
- साथ ही सभी सीटों पर अकेले दम चुनाव लड़ने की मांग भी मुखर हो उठी है।
- सपा प्रमुख ने गठबंधन के इंकार करके पीके की साख को भी तगड़ा झटका दिया है।
- खासतौर पर पार्टी के दलति और मुस्लिम नेताओं की पीके का प्लान बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है।
थम गया कांग्रेस का प्रचार अभियानः
- पीके के खिलाफ पार्टी में बढ़े असंतोष को देखते हुए कांग्रेस का प्रचार अभियान भी थम गया है।
- इससे पहले राहुल संदेश यात्रा का दूसरा चरण भी कुछ खास नहीं कर सका था।
- बदले परिदृश्य में अनुसूचित जाति विभाग की दलित कांग्रेस यात्राएं अब नहीं निकाली जाएंगी।
- यात्राओं के स्थान पर अब कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर गांवों में प्रचार के लिए लगाया जाएगा।
- इसके साथ ही आरक्षण में अति पिछड़ों के लिए अलग कोटा निर्धारित करने की आवाज बुलंद कर उन्हें अपने पाले में करने की कवायद भी थम गई है।
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