उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मुस्लिम मतों पर पैनी निगाह गड़ाये बैठी बसपा के लिए बुरी खबर है। समाजवादी पार्टी को कमजोर होते देख बसपा की बाछें खिल गयी थी। बसपा रणनीतिकारों को लगने लगा था कि सपा के विकल्प के तौर पर अब मुस्लिम मतदाता मायावती की ओर रूख करेंगे। लखनऊ में मान्यवर कांशीराम की पुण्यतिथि पर मायावती यह बताने से भी नहीं चूकीं थी कि यूपी में उनके लिए बसपा ही एकमात्र विकल्प है। अब जब सपा और काग्रेंस के बीच गठबंधन की खबरें बाहर आ रहीं है तो बसपा की बेचैनी बढ़ना जायज हैं एक बार फिर बसपा को मुस्लिम मतो से दूर होने का डर सता रहा है।
- चुनाव से पहले पारिवारिक कलह से जूझ रही समाजवादी पार्टी अब बिहार की तर्ज पर महागठबंधन के रास्ते सत्ता तलाश रही है।
- सपा पहले से ही समाजवादियों को एक मंच पर लाने की कोशिश करती रही है।
- एक बार फिर यूपी की सत्ता में आने के लिए महागठबंधन की कोशिशों के तहत सपा कुछ भी कर गुजरने को तैयार है।
- मंगलवार को कांग्रेस रणनीतिकार प्रशान्त किशोर ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की।
- सपा महासचिव अमर सिंह इस मुलाकात के सूत्रधार बने और पीके उन्हीं के साथ मुलायम से मिलने पहुंचे।
- बताया जा रहा है कि महागठबंधन के लिए पीके बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से भी बात कर चुके हैं।
- माना जा रहा है कि इस बैठक में सपा और कांग्रेस के बीच चुनाव से पहले गठबंधन की संभवनाएं तलाशी गयी।
- सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव पहले ही कह चुकें हैं कि सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी कुछ भी करने को तैयार हैं।
- भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए सपा, कांग्रेस को अपने साथ लाने से भी गुरेज नहीं करेगी।
M-Y के पुराने फार्मूले पर सपाः
- समाजवादी पार्टी किसी भी तरह से अपने परंपरागत समीकरण एमवाई को बनाये रखना चाहती है।
- प्रदेश के यादव हमेशा ही मुलायम के साथ समझे जाते रहे हैं।
- जब-जब यादवो के अलावा सपा को प्रदेश के मुस्लिमों का साथ मिला है वह सत्ता में काबिज रही है।
- मुलायम कुनबे की लड़ाई के बाद मुस्लिम मतदाता दुविधा में हैं, उन्हें विश्वास नहीं हो पा रहा है कि सपा भाजपा का मुकाबला कर पायेगी।
- कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सपा यह संदेश देना चाहती है कि सांप्रदायिक शक्तियों को हराने के वह कोई भी बलिदान देने को तैयार है।
- इस रणनीति के तहत सपा एक बार फिर मुसलमानों का विश्वास हासिल करना चाहती है।
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