उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के भीतर चल रहे महासंग्राम पर प्रदेश के मुसलमान काफी बारीकी से नजर बनाये हुए हैं। सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच जो खींचतान चल रही है उसने प्रदेश के मुललमानों के सामने बड़ी दुविधा की स्थिति पैदा कर दी है।
- मुस्लिम मतदाताओं 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनवाने में अहम किरदार निभाया था।
- अब वही मुसलमान सपा की अंदरूनी कलह से दुविधा में नजर आ रहा है।
- देवबंद के मुफ्ती मोहम्मद अरशद फारूकी मानते हैं कि इस लड़ाई की वजह से दो सूरते हाल पैदा हो रहे हैं।
- पहला ये कि यादव परिवार की इस लड़ाई का सीधे तौर पर भाजपा को फायदा हो सकता है।
- क्योंकि इस घमासान के बाद मुस्लिम वोटों के बंटवारे की सम्भावना बढ़ सकती है।
- दूसरा ये कि सपा के कमजोर होने पर सूबे के मुसलमान भाजपा को हराने के लिए बहुजन समाज पार्टी के पाले में जा सकते हैं।
- मुफ़्ती अरशद ये मानते हैं कि ‘सूबे का सियासी मंज़रनामा बहुत खतरनाक है और मुसलमान इस पर नज़र रख रहे हैं।
- वहीं प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खां भी कुछ इसी तरह की चिंता जाहिर कर चुके हैं।
अखिलेश पर भरोसा कायमः
- हालांकि, कुल मिलाकर प्रदेश में मुसलमानों के रूख को लेकर अभी पूरी तरह से तस्वीर साफ नहीं है।
- सीएम अखिलेश यादव की छवि काफी दमदार है और प्रदेश के मुसलमान भी उन पर भरोसा कर रहे हैं।
- पार्टी में मचे घमासान से भले ही नुकसान हो रहा हो लेकिन अभी भी मुसलमानों ने पूरी तरह अपना मन नहीं बनाया है।
- लेकिन अगर जल्द ही सपा की तकरार खत्म नहीं हुई तो बसपा लाभ की स्थिति में होगी।