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उत्तर प्रदेश का राजनीतिक गलियारा बड़े ही कौतूहल से समाजवादी पार्टी में मचे घमासान को देख रहा है कि, विरोधी दलों के साथ ही स्वयं समाजवादी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी यह जानता और मानता है कि, अगर जल्दी ही इस झगड़े का समाधान नहीं किया गया तो 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को बहुत बुरी तरह से मुंह की खानी पड़ सकती है।
अगले पेज पर जानें क्यों जरुरी है सुलह और क्यों नहीं हो पा रही है सुलह:
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सभी ये जानते हैं कि, समाजवादी पार्टी में ये रार क्यों शुरू हुई। आइये हम आपको बताते हैं कि, सपा की लड़ाई में सुलह क्यों जरुरी है, साथ ही पार्टी में सुलह क्यों नहीं हो पा रही है।
सपा प्रमुख और मुख्यमंत्री अखिलेश की जिद बनी मुसीबत:
- सपा में सुलह न हो पाने की सबसे बड़ी वजह है सपा प्रमुख और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जिद।
- दोनों ही अपनी-अपनी शर्तों पर सुलह करना चाहते हैं जो मुमकिन नहीं हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश की शर्तें:
- अखिलेश विधानसभा चुनाव तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर रहना चाहते हैं।
- अमर सिंह का पार्टी से निष्कासन।
- शिवपाल सिंह यादव को राष्ट्रीय राजनीति में भेजा जाये।
- प्रदेश का संगठन मुख्यमंत्री के पास हो।
- बर्खास्त युवा नेताओं की पार्टी में वापसी।
- रामगोपाल यादव की पार्टी में वापसी भी मुख्यमंत्री अखिलेश की शर्त है।
- सूत्रों की मानें तो सारी फसाद की जड़ रामगोपाल यादव की वापसी ही है।
सपा प्रमुख का इंकार:
- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सुलह की इन शर्तों से सपा प्रमुख को ऐतराज है।
- जिसके कारण पार्टी में सुलह की कुल 7 कोशिशें बेकार हो चुकी हैं।
चुनाव में औंधे मुंह गिरेगी सपा:
- मौजूदा समय में सपा के भीतर जो परिस्थितियां हैं, जल्द सुलह न होने की स्थिति में पार्टी को भारी नुक्सान उठाना पड़ सकता है।
- CM भले ही अपने विकास कार्यों को लेकर दम भर रहे हों, लेकिन जनता सपा को उसके विकास से ज्यादा घर की लड़ाई के लिए जानेगी।
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